रायपुर न्यूज़ धमाका /// कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सिनेमा सेक्टर के लिए दर्शक क्षमता 33 फीसदी तय कर दी है। ऐसा होने के कारण मल्टीप्लेक्स संचालकों की हालत पतली हो गई है। प्रदेश में एक तरफ पीवीआर जैसे राष्ट्रीय कंपनी के साथ डेढ़ दर्जन शहरों में निजी मल्टीप्लेक्स भी हैं। इनमें दो-दो स्क्रीन है। इन सबने 33 फीसदी दर्शक क्षमता के आदेश के बाद अपनी एक-एक स्क्रीन बंद कर दी है।
इसी के साथ जिन मल्टीप्लेक्स में चार से पांच स्क्रीन है, वहां दो-दो स्क्रीन बंद हो गई है। मल्टीप्लेक्स संचालकों का कहना है, इतनी कम दर्शक क्षमता में खर्च निकल पाना संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि मल्टीप्लेक्स की स्क्रीन में दर्शक क्षमता दो सौ से ज्यादा नहीं होती है। 33 फीसदी दर्शक क्षमता का मतलब है महज 66 दर्शक। इतने दर्शकों से हर माह का खर्च निकलना संभव नहीं है।
सिंगल स्क्रीन वाली टॉकीजों को ज्यादा परेशानी नहीं है, लेकिन इनकी कमाई जरूर प्रभावित हो गई है। टॉकीजों में चूंकि दर्शक क्षमता हजार से 12 सौ तक रहती है। ऐसे में 33 फीसदी के आदेश से टॉकीजों में फिर भी तीन से चार सौ दर्शक हो जाते हैं। टॉकीजों का माह भर का खर्च भी ढाई लाख के आस-पास आता है, वह भी कोरोना के बाद से। पहले डेढ़ लाख तक खर्च आता था। अब सेनेटाइजरिंग के कारण खर्च बढ़ा है, लेकिन कम दर्शक क्षमता के कारण इनकी कमाई नहीं हो सकेगी। बस खर्च ही निकल सकेगा।