रायपुर न्यूज़ धमाका /// प्रदेश में घटे लिंगानुपात के लिए स्वास्थ्य विभाग ने खुद को गुनहगार माना है। विभाग ने अपनी प्रदेश स्तरीय रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि राज्य में संचालित निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड केंद्रों में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम-1994 (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत नियमित जांच नहीं होने से लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्याएं बढ़ी हैं। चूंकि प्राकृतिक रूप से लिंगानुपात कभी घटता नहीं, ऐसे में इस तरह की अवैधानिक गतिविधियों के लिए इसके लिए जिम्मेदार हैं।
विभाग के मुताबिक वर्ष 2021 में राज्य के कुल 772 केंद्रों में से सिर्फ 290 की औपचारिक जांच रिपोर्ट दी गई है। इनमें किसी में भी अनियमितता नहीं पाई गई है। वहीं नियम के मुताबिक केंद्रों में जांच ही नहीं हुई। रिपोर्ट के बाद पीसीपीएनडीटी की राज्य टीम ने महासमुंद व बिलासपुर के तीन केंद्रों की औचक जांच में वहां लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या की गतिविधियां पाईं। इधर पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं करने पर सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है।
30 अंक नीचे गिरा राज्य का लिंगानुपात
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2011 की तुलना में अब लिंगानुपात औसत दर से 30 अंक नीचे गिर गया है। वर्ष 2011 में हुए सर्वे के दौरान राज्य में प्रति 1,000 पुरुषों में 960 महिलाएं थीं। वहीं वर्तमान में प्रति 1,000 पुरुषों में 928 महिलाएं हो गई हैं।
सभी जिलों के सीएमएचओ से मांगा जवाब
राज्य में लिंगानुपात घटा है। साफ है कि प्राकृतिक रूप से लिंगानुपात की दर कम नहीं होती है, इसलिए इसकी वजह लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या जैसी गतिविधियां ही हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच नहीं हो रही है। मामले की रिपोर्ट संचालक को दी गई है। हमने सभी जिलों के सीएमएचओ को भी पत्र भेजकर जवाब मांगा है।