संवाददता :- सागर बत्रा रायपुर
रायपुर,न्यूज़ धमाका:- शुक्रवार को राजधानी रायपुर के कांग्रेस मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। डिसूजा ने अपने संबोधन में कहा महंगी गैस, महंगा तेल, थोक और खुदरा महंगाई ऐतिहासिक रूप से सर्वोच्च शिखर पर है, सिर्फ सत्ता की भूख में मोदी सरकार आम जनता की कमर तोड़ रही है, फिर भी महंगाई से देशवासियों को लूटने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रही है।
पेट्रोल-डीजल 100 के पार, रसोई गैस 1000, खाने का तेल 200 के पार। आम जनता बेबस और लाचार है पर मोदी सरकार केवल अपने चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे की सोच रही है। अप्रैल 2014 से जून 2021 तक मोदी सरकार ने केवल पेट्रोल डीजल की लूट से 25 लाख करोड़ कमाए हैं। मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी विगत 7 साल में 258 परसेंट बढ़ाया है और डीजल पर 820 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। मई 2014 में पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी मात्र 9 रूपया 20 पैसे प्रति लीटर थी।
मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी विगत 7 साल में 258 परसेंट बढ़ाया है और डीजल पर 820 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। मई 2014 में पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी मात्र 9 रूपया 20 पैसे प्रति लीटर थी।जो आज बढ़कर 23 रुपया 78 पैसा प्रति लीटर है। मई 2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी मात्र 3 रुपया 46 पैसे थी जो आज बढ़कर 28 रुपया 37 पैसा प्रति लीटर है। अर्थात पेट्रोल पर ढाई गुना और डीजल पर 10 गुना मुनाफाखोरी करके आम जनता को नोच रही है मोदी सरकार।
मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता यह झूठ बोलने से नहीं चूकते कि पेट्रोलियम की कीमत पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। यदि ऐसा नहीं है तो 5 राज्यों में विगत विधानसभा चुनाव के दौरान 4 महीने तक मूल्य वृद्धि नहीं करने के पीछे क्या कारण है। कोविड़ के दौरान एक समय ऐसी भी स्थिति आई जब अमेरिका के वायदा बाजार में पेट्रोलियम की कीमत -1.41 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी अर्थात पेट्रोल भी लो और साथ में पैसा भी लो उस दौरान भी डीजल पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतें भारत में कम नहीं की गई जो मोदी सरकार के लूट का प्रमाण है।
मोदी सरकार अपनी अक्षमता के लिए पिछली सरकारों को दोषी ठहरा रही है लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार झूठ के पीछे अपना चेहरा छुपाने की कोशिश कर रही है। भाजपा की मौजूदा सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के बजाय केवल आयात को प्रोत्साहित कर रही है सरकारी तेल एवं प्राकृतिक गैस कंपनियों में निवेश में लगातार कटौती कर रही। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जारी ऑयल बॉन्ड पर दोष मढ़कर मोदी सरकार अपनी नाकामी छुपाने का प्रयास कर रही है जबकि सच यह है कि साल 2005 से 2010 के बीच यूपीए सरकार ने केवल 1.4 लाख करोड़ का तेल बांड जारी किया था।