रायपुर,न्यूज़ धमाका :- छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से अपनी कला, संस्कृति के विख्यात है। यहां भरपूर वन, जलप्रपात, सदियों पुराने मंदिर और मूतिर्यों के अवशेष जैसे धरोहर कई पूरे छत्तीसगढ़ में देखने को मिल जाएंगे। देश की 40 विश्व विरासत जगहों में छत्तीसगढ़ का एक भी धरोहर शामिल नहीं हो पाया है।
प्रदेश में एशिया का नियाग्रा कह जाने वाले चित्रकोट जलप्रपात, प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर और बौद्ध स्थल के नाम से प्रसिद्ध सिरपुर, छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट, भोरमदेव कवर्धा, गुरु घासीदास सहित तीन नेशनल पार्क और 11 अभ्यारण्य जैसी कई जगहों में हर साल हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
फिर भी इन स्थानों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं बन पाई। मालूम हो कि पांच साल पहले विश्व विरासत की प्रतिक्षा सूची में सिरपुर को शामिल किया था। उस वक्त यूनेस्को की टीम ने छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग कुछ तय मापदंड को दो साल में पूरा करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। तब इस ओर कोई पहल नहीं हो रही है।
पुरातत्व विशेषज्ञ का कहना- मूलभूत सुविधा पर करें फोकस
प्रदेश के चुनिंदा स्थान पर विश्व विरासत को शामिल करने के लिए अन्य प्रदेशों से विरासत का अध्ययन करना चाहिए। क्योंकि यह काम संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को द्वारा किया जाता है। जरूरी है कि विभाग को सबसे पहले लोगों की मूलभूत सुविधा इन जगहों पर बढ़ाने की आवश्यकता है। सड़क, रेल मार्ग प्रमुख स्थान रखता है। इसके अलावा ठहरने के लिए होटल, अच्छी गाइड लाइनर, टैक्सी वगैरह आदि पर फोकस करना होगा। तब कही जाकर विश्व विरासत स्थल में शामिल हो पाएगा।