
रायपुर न्यूज़ धमाका /// संक्रमित होने वालों में 10 प्रतिशत बच्चे हैं। वैक्सीन नहीं लगने की वजह से ये हाईरिस्क में शामिल हैं। दूसरी लहर में भी इस वर्ग के बच्चे काफी प्रभावित हुए थे। छोटे बच्चे घर में ही रहते हैं, मगर 12 साल तक की आयु के बच्चों का संपर्क स्कूल सहित अन्य कारणों से बाहरी लोगों से होता है, जिसकी वजह से कोरोना की हाईरिस्क में इस आयु तक बच्चे आ चुके हैं।
केंद्र सरकार द्वारा अभी तक 15 साल के किशोर वर्ग को इसकी सुविधा दी गई है, जो महीनेभर बाद ही कोरोना की गंभीर स्थिति से सुरक्षित हो पाएंगे। पंद्रह से कम उम्र के बच्चे अभी कोरोना की गंभीर स्थिति से सुरक्षित नहीं हो पाए हैं और इसके संकेत पिछले 10 दिनों से प्रदेश में मिलने वाले कोरोना पॉजिटिव में 10 फीसदी बच्चों का होना है। इसमें बड़ी संख्या में 12 से 15 साल तक की आयु के बच्चे शामिल हैं।
बच्चों के संक्रमित होने के दौरान उनके इलाज के लिए केवल रायपुर जिले में ही अलग से इंतजाम किया गया है। यहां आयुर्वेदिक काॅलेज में कोविड वार्ड बनाया गया है। इसके साथ ही इंडोर स्टेडियम को भी योजना में शामिल किया गया है। अन्य जिलों में बच्चों के लिए अलग से कोविड वार्ड की व्यवस्था नहीं की गई है।
डॉ. निलय मोझरकर, शिशुरोग विशेषज्ञ – पहली और दूसरी लहर की तुलना में इस बार बच्चे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। राहत की बात यह है कि किसी तरह के गंभीर लक्षण सामने नहीं आ रहे हैं। वैक्सीन की सुविधा 12 से 15 साल के बच्चों को भी जल्द देने की आवश्यकता है। इस आयु के बच्चे हाईरिस्क की श्रेणी में आते हैं।
संक्रमितों का आंकड़ा बताता है कि एक वर्ष से 20 वर्ष तक करीब 500 बच्चे और युवा संक्रमित हुए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि बच्चों की मृत्युदर काफी कम है। रायपुर में ही केवल रायपुर जिले के आंकड़ों को गौर करे तो पिछले 10 दिन में 250 कोरोना के शिकार हो चुके हैं। इनमें 10 साल तक की उम्र वाले बच्चों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक है। लक्षण सामान्य होने की वजह से अभी तक किसी तरह की अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं हुई है। आने वालों दिनों में कोरोना संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है।