रायपुर,न्यूज़ धमाका :- राज्य में घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में सैंपल को जांच के लिए हिमाचल प्रदेश के कसौली सेंट्रल लैब भेजा है, खराब बेसिल कालसेट ग्युरिन (बीसीजी) के टीके लगने से 26 हजार मासूमों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। लेकिन खतरे के बावजूद बच्चों में टीके के रिएक्शन को लेकर राज्य स्तरीय एडवर्स इवेंट फालोइंग इम्युनाइजेशन (एईएफआइ) कमेटी द्वारा जांच ही नहीं की गई।
बता दें कि पिछले महीने मार्च में दुर्ग के शासकीय अस्पताल में बच्चों को बीसीजी का टीका लगाने के दौरान पाउडर के घोल में कैमिकल बदलाव देखा गया। यह तब सामने आया, जब 41 हजार टीके की खेप में से राज्य के 26 हजार बच्चों को टीका लगा दिया गया था। टीकाकरण के बीच वायल में काला पदार्थ सामने आने के बाद हड़कंप मचते ही जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गई।
इसके तुरंत बाद बीसीजी के टीकाकरण पर रोक लगा दी गई और बचे 15 हजार टीके को डंप कर दिया गया। इधर सैंपल जांच के लिए सेंट्रल लैब भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। बच्चों को खराब टीका लगने पर राज्य व जिला स्तर पर एईएफआइ कमेटी होती है, जो स्वास्थ्यगत समस्याओं को लेकर उनकी जांच व मानिटरिंग करती है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।