
बस्तर न्यूज़ धमाका – माओवादियों के कमजोर होते नेटवर्क के बीच अब वे हिंसा के सहारे दहशत कायम रखने की कोशिश में जुटे हैं। मंगलवार को बीजापुर जिले के ग्राम पेद्दाकोरमा (नयापारा) में माओवादियों ने तीन निर्दोष ग्रामीणों की रस्सी से गला घोंटकर निर्मम हत्या कर दी। पुलिस और जिला प्रशासन को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, मौके पर सुरक्षा बलों को रवाना किया गया।
भय फैलाने की नाकाम कोशिश
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह हत्याएं माओवादियों की बौखलाहट को दर्शाती हैं। लगातार हो रहे एनकाउंटर, बढ़ते आत्मसमर्पण और ग्रामीणों के समर्थन में गिरावट से नक्सली संगठनों की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है। यही वजह है कि वे भय और हिंसा का सहारा लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं।
उखड़ते माओवादी, बदलता बस्तर
हालिया महीनों में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे समन्वित अभियानों, जैसे कि “नियद नेल्लार” योजना, ने वनांचल में विकास की नई इबारत लिखी है। पहाड़ी इलाकों में बसे गांवों में अब स्कूल खुल रहे हैं, सड़कें बन रही हैं और ग्रामीण मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं। इससे माओवादी संगठन अंदर से टूटने लगे हैं।
सरेंडर और कार्रवाई ने तोड़ी कमर
बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों में कई टॉप माओवादी कमांडर या तो मारे गए या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कर्रेगुट्टा जैसे कुख्यात इलाकों से माओवादियों को खदेड़ा जा चुका है और अब वे छिटपुट घटनाओं के जरिए अपना वजूद बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों में बढ़ रहा भरोसा
घटना के बाद पेद्दाकोरमा क्षेत्र में अस्थायी सुरक्षा कैंप लगाए गए हैं और ग्रामीणों को पूर्ण सुरक्षा का भरोसा दिलाया गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि इस कायराना घटना के जिम्मेदारों को जल्द पकड़ा जाएगा। ग्रामीणों ने भी प्रशासन के प्रयासों पर भरोसा जताया है।
विश्लेषण:
यह घटना स्पष्ट करती है कि जब कोई संगठन अपनी जड़ों से कटने लगता है, तो वह हिंसा और आतंक के सहारे जिंदा रहने की कोशिश करता है। लेकिन बस्तर अब बदल चुका है—जहां पहले डर था, अब वहां उम्मीद है। आने वाले समय में माओवाद पूरी तरह खत्म करने की दिशा में यह एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।