
रायपुर न्यूज धमाका – छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों से सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के तबादलों पर लगी रोक हटाए जाने की मांग जोरों पर है। इसी बीच आज हो रही मुख्यमंत्री विष्णुदेव सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक को लेकर कर्मचारियों और शिक्षक संगठनों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
व्हाट्सएप ग्रुपों में चर्चा जोरों पर
कैबिनेट बैठक के दिन सुबह से ही कर्मचारी संगठनों के व्हाट्सएप ग्रुपों में तबादला बैन हटाने को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। सोशल मीडिया पर यह भी वायरल हो रहा है कि बैठक में जीएडी सचिव अविनाश चंपावत की प्रमुख उपस्थिति इस ओर संकेत दे रही है कि ट्रांसफर संबंधी प्रस्ताव आज की बैठक का हिस्सा हो सकता है।
अब तक क्यों नहीं खुला बैन?
राज्य में लंबे समय से ट्रांसफर पर प्रतिबंध है।
- 2022 में भूपेश बघेल सरकार ने एक माह के लिए बैन हटाया था।
- 2023 में विधानसभा चुनाव के चलते बैन जारी रहा।
- 2024 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी सरकार ने भी तबादलों पर कोई निर्णय नहीं लिया।
सरकारें आमतौर पर चुनावी वर्षों में ट्रांसफर को लेकर सतर्क रहती हैं, क्योंकि इससे “तबादला उद्योग” को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
क्यों जरूरी हो गया है बैन हटाना?
- दो सालों से स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी तरह ठप है।
- कर्मचारी-अधिकारियों की पारिवारिक और चिकित्सकीय जरूरतें भी प्रभावित हो रही हैं।
- राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव दोनों पक्षों से सरकार पर है।
2025-26 को राजनीतिक दृष्टि से “तबादला अनुमोदन का सुरक्षित समय” माना जा रहा है, क्योंकि अगला विधानसभा चुनाव 2028 में होना है। इस लिहाज से 2027 में यदि बैन हटाया गया तो अराजकता का प्रभाव चुनाव तक रह सकता है।
अब क्या हो सकता है?
- अगर आज की कैबिनेट बैठक में ट्रांसफर बैन हटाने का प्रस्ताव नहीं आता, तब भी अगली बैठक में यह मसला आ सकता है।
- जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) के प्रस्ताव के बाद कैबिनेट को यह अधिकार है कि वह बैन हटाने या उसमें आंशिक छूट देने का फैसला करे।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कई कर्मचारी संगठनों ने बैन को हटाने की मांग करते हुए कहा है कि यह “मानविक और प्रशासनिक दृष्टिकोण” से आवश्यक है। उनका कहना है कि लंबे समय से ट्रांसफर न होने के कारण न केवल पारिवारिक असुविधाएं बढ़ी हैं, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ा है।