बेंगलुरु न्यूज़ धमाका // घोर लापरवाही: कोरोना महामाही कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा अच्छी तरह पूरी दुनिया को हो चुका है। इसके बावजूद यदि कोई लापरवाही करता है तो क्या कहा जाए। बेंगलुरू के एक अस्पताल में ऐसा ही हुआ है। एक तरह जहां पूरी दुनिया कोरोना वारयस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर चिंतत है, वहीं बेंगलुरू के अस्पताल के मुर्दाघर में 15 माह पुराने शव मिले हैं। इन लोगों की मौत कोरोना महामारी से हुई थी। शव अब पूरी तरह सड़ चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दो कोविड -19 पीड़ितों के शव बेंगलुरु के ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल के मुर्दाघर में सड़े हुए पाए गए हैं।इन शवों का पता बीती 26 नवंबर को चला, जब कोल्ड स्टोरेज की सफाई करने गए श्रमिकों ने फ्रीजर से दुर्गंध आती हुई देखी। टैग की मदद से शवों की पहचान चामराजपेट निवासी दुर्गा (40) और बेंगलुरु के केपी अग्रहारा निवासी मुनीराजू (35) के रूप में की गई।
जानिए क्या हुआ दोनों कोरोना मरीजों के साथ
जुलाई 2020 में कोविड -19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद दुर्गा और मुनिराजू को कथित तौर पर ईएसआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्होंने वायरस के कारण दम तोड़ दिया और उनके शवों को एक पुराने मुर्दाघर में भेज दिया गया। यहां से बृहत बेंगलुरु महानगरपालिका को दाह संस्कार के लिए सौंप दिया गया। कोविड -19 प्रोटोकॉल के अनुसार, बीबीएमपी को पीड़ितों के शवों का अंतिम संस्कार करना था।इसी दौरान दिसंबर 2020 में राज्य सरकार ने अस्पताल में नए मुर्दाघर का निर्माण किया। जैसे ही नए मुर्दाघर ने काम करना शुरू किया, सभी शवों को वहां शिफ्ट किया गया, लेकिन ये दोनों शव लापरवाही के कारण पुराने मुर्दाघर के फ्रीजर में रह गए।राजाजीनगर के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री एस सुरेश कुमार ने कर्नाटक के श्रम मंत्री ए शिवराम हेब्बार को पत्र लिखकर मामले की जांच करने और अमानवीय घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का अनुरोध किया है।