
डॉ राजाराम त्रिपाठी
रायपुर,न्यूज़ धमाका :- प्रसिद्ध फिल्मकार अमित मुखोपाध्याय को मां दंतेश्वरी हर्बल परिसर में आयोजित एक आज एक सादे समारोह में ककसाड़ सम्मान से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि देश के जाने-माने फिल्मकार अमित मुखोपाध्याय इन दिनों छत्तीसगढ़ तथा विशेष रूप से बस्तर की जनजातीय कला संस्कृति साहित्य के दस्तावेजी करण कार्य में लगे हुए हैं।
इसी सिलसिले में वे छायाकार विक्रम मंडल के साथ सोमवार को जनजातीय सरोकारों को समर्पित दिल्ली से प्रकाशित होने वाली लोकप्रिय राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड़ के कोंडागांव स्थित संपादकीय कार्यालय पहुंचे ।
उन्होंने बस्तर की जनजातियों की कला, संस्कृति, बोली भाषा तथा यहां की विख्यात औषधीय पौधों की खेती पद्धति के बारे में ट्राईबल रिसर्च एंड वेलफेयर फाउंडेशन (TRWF)के प्रमुख तथा ककसाड़ पत्रिका के संपादक डॉ राजाराम त्रिपाठी का लंबा साक्षात्कार लिया। दूसरे दिन उन्होने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह द्वारा स्थानीय आदिवासी परिवारों के साथ मिलकर की जा रही है

काली मिर्च, सफेद मूसली, तुलसी,अनाटो, हल्दी आदि विभिन्न प्रकार की की खेती का खेतों पर जाकर निरीक्षण, छायांकन तथा दस्तावेजीकरण किया। इसके अलावा उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के रेड डाटा बुक में चिन्हित दुर्लभ तथा विलुप्त हो रही वनौषधियों के संरक्षण के लिए निजी प्रयासों तथा संपदा समाज सेवी संस्थान के सहयोग से मिलकर बनाए गए.
चिखलपुटी ग्राम के ” दुर्लभ वनौषधि उद्यान ” (इथनो मेडिको हर्बल गार्डन ) का भी निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि यहां 340 से भी अधिक प्रकार की वनस्पतियों तथा दुर्लभ स्थानीय प्रजातियों को पिछले 30 वर्षों से लगातार ढूंढ ढूंढ कर, एकत्र कर वनौषधियोंको उनके प्राकृतिक रहवास में ही संरक्षण, संवर्धन तथा प्रवर्धन किया जा रहा है।
बस्तर के मृदा शिल्प कला के बारे में जानकारी लेने हेतु उन्होंने साथी संस्थान का भ्रमण किया शिल्पी अशोक चक्रधर से मिले तथा साथी संस्था प्रमुख प्रख्यात समाजसेवी भूपेश तिवारी जी का भी साक्षात्कार लिया। इसके अलावा राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त लौह शिल्पी तीजू राम बघेल के वर्कशॉप का भी निरीक्षण किया तथा उनका भी साक्षात्कार लिया। अमित मुखोपाध्याय देश के कई राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों की कला तथा संस्कृति तथा अन्य विषयों पर पर कई बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री तथा फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं।
बस्तर की कला तथा संस्कृति को देश तथा विदेश तक पहुंचाने के लिए उनके द्वारा लगातार किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें ट्राईबल रिसर्च एंड वेलफेयर फाउंडेशन, संपदा समाज सेवी संस्थान तथा ककसाड़ पत्रिका के संयुक्त तत्वाधान में डॉ राजाराम त्रिपाठी के करकमलों से “ककसाड़ कलानिधि- सम्मान ” प्रदान किया गया। संपदा समाजसेवी संस्थान की महासचिव शिप्रा त्रिपाठी के द्वारा अमित मुखोपाध्याय तथा छायाकार विक्रम मंडल का शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया! कार्यक्रम के अंत में में ककसाड़ पत्रिका के नवीनतम जुलाई अंक की प्रतियां भी सभीअतिथियों को सादर भेंट की गई।
कार्टून में अमित मुखोपाध्याय ने बस्तर की कला एवं संस्कृति की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं यहां की जा रही काली मिर्च , मीठी तुलसी यानी स्टीविया तथा तरह तरह की हर्बल की खेती का बहुस्तरीय जंगल माडल देखकर आश्चर्यचकित हूं। मैं जल्द ही दोबारा यहां हो रही अनूठी वनौषधियों की खेती, खेती के इन नवाचारों तथा डॉ राजाराम त्रिपाठी द्वारा बनाए गए .
दुर्लभ वनौषधियों के जंगल की फिल्म बनाने के लिए पुनः आऊंगा। इस अवसर पर मा दंतेश्वरी हर्बल समूह के अनुराग कुमार, संपदा समाज सेवी संस्थान की शिप्रा त्रिपाठी तथा जसमति नेताम, कृष्ण कुमार पटेरिया, बलई चक्रवर्ती, शंकरनाग, कृष्णा नेताम, श्यामवती, शनिवारिन भाई, फूलों बाई, मुन्नी बाई सहित मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के समूह तथा संपदा समाज सेवी संस्थान समूह के अधिकांश प्रमुख सदस्य मौजूद थे।