
कोरबा,न्यूज़ धमाका:- केंद्रीय मान्यता प्राप्त 10 श्रमिक संघ के संयुक्त मोर्चे के दो दिवसीय देशव्यापी कामबंद हड़ताल के पहले दिन साउथ इस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानों में आंशिक असर देखा गया। सुबह पांच बजे से श्रमिक संगठन के कार्यकर्ता खदानों में पहुंच गए। पहली पाली से ही कर्मचारी हड़ताल पर जाने लगे। 30 फीसद कर्मचारी काम पर नहीं पहुंचे, वहीं ठेका कंपनी के कर्मचारियों की शत प्रतिशत उपस्थिति रही। इस वजह से कोयला उत्पादन पर आंशिक प्रभाव पड़ा।
नए श्रम कानून के विरोध में श्रमिक संगठनों ने सोमवार से काम बंद हड़ताल शुरू कर दिया है। कोयला क्षेत्र के श्रमिकों के अलावा सार्वजनिक उपक्रम के श्रमिकों को भी हड़ताल से जोड़ कर प्रभावी बनाने की कोशिश संगठनों ने की। स्थानीय मुद्दे भी आंदोलन में शामिल किए गए, ताकि सरकारी कार्यालय, बैंक व बीमा कार्यालय में भी हड़ताल का असर हो। काफी प्रयास के बावजूद श्रमिक संगठन वह नहीं कर सकी, जिसकी उन्हें उम्मीद थी।
यदि हम पहले हुई देशव्यापी हड़ताल की ओर निगाह डालें तो सबसे अधिक एसईसीएल की कोयला खदानों में असर का रिकार्ड नजर आता है। पर इस बार श्रमिक संगठन कोयला खदान में भी आंदोलन को सफल नहीं बना सके। तड़के घर से निकले श्रमिक संगठन के लोगों ने खदान के बाहर खड़े होकर नियमित कर्मचारियों व ठेका श्रमिकों को काम में नहीं जाने की अपील करते रहे, पर सीधे तौर पर श्रमिक संगठन से जुड़े लोग ही उनको समर्थन दिए।
यही वजह है कि प्रथम पाली छह से दोपहर दो बजे व सामान्य पाली सुबह आठ से पांच बजे तक एसईसीएल के 8500 कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल का भूमिगत खदान बगदेवा में असर पड़ा। वहीं सेंट्रल वर्कशाप में केवल श्रमिक संघ से जुड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ता हड़ताल पर रहे और शेष कर्मचारी ड्यूटी करते रहे।
श्रमिक नेता दीपेश मिश्रा का कहना है कि प्रबंधन ने हड़ताल विफल करने पूरा षडयंत्र किया, पर हमारी एकता काम आई। 70 फीसद कर्मचारी हड़ताल पर रहे। 50 फीसद से अधिक कामकाज प्रभावित हुआ है। आज पहला दिन है, हड़ताल की वजह से उत्पादन पर दूसरे दिन और अधिक असर दिखेगा।