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जीएसटी को सरल बनाने हेतु कैट करेगा राष्ट्रीय आंदोलन 26 जुलाई को भोपाल से शुरू होगा राष्ट्रीय आंदोलन

संवाददाता :- सागर बत्रा रायपुर
रायपुर,न्यूज धमाका :- कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव परमानन्द जैन महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह ने बताया कि पिछले 5 वर्षों से जिस प्रकार से जीएसटी कर प्रणाली में जींएसटी काउन्सिल ने बिना व्यापारियों से परामर्श किए जीएसटी के मूल क़ानून एवं नियमों में लगातार बदलाव किया है उससे जहां जीएसटी क़ानून का स्वरूप ही विकृत हुआ है वहीं दूसरी ओर कर प्रणाली सरल होने के बजाय बेहद जटिल हो गई है जिसके कारण देश भर के व्यापारी वर्ग में बेहद असंतोष रोष एवं आक्रोश है इस स्तिथि से क्षुब्द होकर कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) ने जीएसटी काउन्सिल के मनमाने रवैए के ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन छेड़े जाने की घोषणा की है और माँग की है।

की जीएसटी कर प्रणाली की नए सिरे से समीक्षा कर क़ानून एवं नियमों को सरल एवं तार्किक बनाया जाए कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया की इस देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत आगामी 26 जुलाई को भोपाल से होगी तथा इस राष्ट्रीय आंदोलन में देश के 50 हज़ार से ज़्यादा व्यापारी संगठन भाग लेंगे देश के प्रत्येक राज्य में व्यापारियों द्वारा अपने राज्य में सघन आंदोलन होगा।

और सभी राज्यों में बड़ी रैलियाँ होंगी वहीं सितम्बर में दिल्ली में एक बड़ी राष्ट्रीय रैली होगी उन्होंने यह भी बताया की इस सनदों में ट्रांसपोर्ट किसान स्वयं उद्यमी महिला उद्यमी छोटे एवं मध्यम निर्माता आदि के राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संगठनों को भी शामिल किया जाएगा और एक बड़ा मोर्चा इस संघर्ष को देश भर में पूरी ताक़त से लड़ेगा पारवानी एवं दोशी ने कहा की जीएसटी को लेकर व्यापारियों के सब्र का बांध अब टूट चुका है जीएसटी क़ानून एवं नियमों में पिछले 5 वर्षों में 1100 से अधिक मनमाने संशोधन जीएसटी काउन्सिल की मनमानियों का साक्षात उदाहरण है व्यापारियों से कोई सलाह किए बिना जिस प्रकार से जीएसटी के मूल स्वरूप को विकृत किया है उससे साफ़ पता लगता है की कर प्रणाली को सरल बनाने तथा कर दायरे को विकसित करने में काउन्सिल की कोई रूचि नहीं है कैट ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आम आदमी के जीवन को सरल बनाने तथा ईज़ ऑफ़ डूइंग बिजनिस के घोषित उद्देश्यों के पूर्ण ख़िलाफ़ है।

पारवानी एवं दोशी ने कहा की  देश की अधिकतम आबादी द्वारा रोज़मर्रा की चीज़ों जैसे पहले टैक्सटाइल फिर फ़ुटवियर की कर दर में वृद्धि और अब बिना ब्रांड वाले खाद्यान एवं अन्य उत्पादों को जीएसटी कर दायरे में लाना जीएसटी काउन्सिल की सामंतवादी सोच का परिचायक है एक तरफ़ आम आदमी पर महंगाई का बोझ और बडेगा वहीं दूसरी ओर व्यापारियों पर लगातार कर पालना का बोझ बड़ जाएगा पारवानी एवं दोशी ने बताया की कर दरों में विसंगतियों एवं  मनमाने व्यवहार से कर प्रणाली दूषित हो गई है जिसको सुधारना बेहद आवश्यक है ताकि व्यापारी आसानी से कर पालना कर सकें सरकारों को अधिक राजस्व मिल सके तथा कर वंचना को रोका जा सके इसके लिए जीएसटी के क़ानून एवं नियमों की नए सिरे से पूर्ण समीक्षा की जाए विगत पाँच वर्षों में जीएसटी कर प्रणाली की लेकर सरकार एवं व्यापारियों के अपने अपने अनुभव है जिनके आधार पर कर प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन कर इसे एक स्थायी एवं श्रेष्ठ कर प्रणाली बनाया जाए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती की जीएसटी कर प्रणाली सबसे बेहतर है और इस वजह से इस कर प्रणाली की विकृतियों को दूर किया जाना ज़रूरी है।

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स्टेट हेेड छत्तीसगढ साधना प्लस न्यूज ( टाटा प्ले 1138 पर ) , चीफ एडिटर - छत्तीसगढ़ न्यूज़ धमाका // प्रदेश उपाध्यक्ष, छग जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन छत्तीसगढ // जिला उपाध्यक्ष प्रेस क्लब कोंडागांव ; हरिभूमि ब्यूरो चीफ जिला कोंडागांव // 18 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। विश्वसनीय, सृजनात्मक व सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रूचि। कृषि, वन, शिक्षा; जन जागरूकता के क्षेत्र की खबरों को हमेशा प्राथमिकता। जनहित के समाचारों के लिये तत्परता व् समर्पण// जरूरतमंद अनजाने की भी मदद कर देना पहली प्राथमिकता // हमारे YOUTUBE चैनल से भी जुड़ें CG SADHNA PLUS NEW

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