
मतदान के दौरान फर्जी मतदान व इसी तरह की अन्य गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने कडे प्राविधान किया है। जिन मतदाताओं की मृत्यु हो गई है उनके स्वजनों को मतदान केंद्र पहुंचकर बीएलओ के समक्ष प्रमाण पत्र जमा करना होगा औ मतदाता सूची से नाम विलोपित करने अर्जी देनी होगी। इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद ही संबंधित बीएलओ ऐसे मतदाताओं के नाम सूची से काटेंगे और इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को देंगे।
पहले जारी करनी होगी नोटिस -भारत निर्वाचन आयोग ने नाम विलोपन की प्रक्रिया में जरुरी निर्देश जारी किया है। जिन मतदाताओं का नाम सूची से विलोपित करनी है उनको पहले नोटिस जारी किया जाएगा। जवाब आने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
अब तक की व्यवस्था पर नजर डालें तो कोटवार या पिफर पंचायत के प्रतिनिधियों की मौखिक जानकारी के आधार पर मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए मतदान केंद्र में बैठे बीएलओ संबंधित मतदाताओं के नाम को सूची से विलोपित करने की प्रक्रिया पूरी कर देते थे। आयोग को लगाता इस बात की शिकायतें मिल रही थी कि शहरी व ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों मेें पुनरीक्षण के दौरान ऐसे लोग सक्रिय हो जाते हैं जिनका काम बीएलओ के गलत जानकारी देकर नाम विलोपित कराना रहता है।
इसमें ऐसे मतदाता जो पार्टी के खिलापफ मतदान करते हैंं इनके टारगेट मेें रहतेक हैं। आमतौर पर मतदाता यही मानकर चलता है कि बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान किया था,इस बार भी मतदाता सूची में नाम होगा। यही सोचकर जब मतदान केंद्र पहुंचते हैं तब पता चलता है कि सूची से नाम गायब है। मायूस होकर बिना वोट डाले ही लौटना पडता है।
आयोग ने अब पुख्ता प्रबंध कर दिया है। मृत मतदाताओं के लिए स्वजनों द्वारा मृत्यु प्रमाण त्र जमा करना जरुरी है। ऐसे मतदाता जो मोहल्ला या शहर व गांव छोडकर चले गए हैं पडोसियों के अलावा आसपास रहने वाले स्वजनों से लिखित जानकारी भी लेंगे। इसी आधार पर सूची से नाम विलोपित करेंगे।
नए मतदाताओं को आनलाइन फार्म की सुविधाऐसे युवा जो 18 वर्ष की आयु पूरा कर लिए हैं उनका सर्वे करने के अलावा मतदाता सूची में नाम जोडवाने के लिए आनलाइन पफार्म जमा करने प्रेरित करने का निर्देश दिया है। आयोग का मानना है कि नई पीढी इंटरनेट मीडिया पर ज्यादा भरोसा करती है और उनको प्रेरित करने पर इस माध्यम से ज्यादा से ज्यादा आवेदन भी आएंगे।