रायपुर,न्यूज़ धमाका :- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि छत्तीसगढ़ मलेरिया मुक्त हो, इसी उद्देश्य के किये मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश के सभी क्षेत्रों में खासकर अंदरूनी और आदिवासी बाहुल्य ईलाकों में इस अभियान पर जोऱ दिया जा रहा साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधायें भी दी जा रही।
सीएम भूपेश बघेल बरसो से अबूझ रहे अबूझमाड़ को बूझने की शुरुआत भी कर दी है। कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी भी जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सजग एवं संवेदनशील है। कलेक्टर रघुवंशी जिले को मलेरिया से मुक्त करने तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने एवं अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंच बनाने के लिए योजना तैयार कर, कार्य को प्राथमिकता से किया जा रहा है।
जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की भी समीक्षा लगातार कर रहे हैं और अधिकारियो से कहा है कि जब जांच दल मलेरिया की जांच हेतु अदंरूनी क्षेत्रों में जाये तो मलेरिया के साथ-साथ स्कैबीज, मोतियाबिंद, टीबी, दाद-खाज-खुजली, सर्दी, खांसी सहित अन्य बीमारियों की भी लक्षण पाये जाने पर जांच करें।
कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी के निर्देश पर मलेरिया जांच करने बीते दिनों स्वास्थ्य अमला लंका और हांदावाड़ा क्षेत्र में नारायणपुर जिले के अबूझ कहे जाने वाले ओरछा विकासखंड (अबूझमाड़) के धुर नक्सल प्रभावित, घने जंगलों एवं पहाड़ों को पगडंडियों के सहारे पार करते हुए गांव लंका, पदमेटा, कारंगुल और रासमेटा बीजापुर जिले से पहुंचा .
स्वास्थ्य अमले में डॉ सुखराम डोरपा, खण्ड चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में उनके सहयोगी डॉ.अनुराधा नेताम, डॉ. श्यामबर सिंह, स्टाफ नर्स कु सरस्वती दुग्गा शामिल थे। स्वास्थ्य अमले द्वारा इन गांवों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
इस दौरान उन्होंने मलेरिया, स्कैबीज, मोतियाबिंद का स्क्रीनिंग एवं अन्य बीमारियों की जांच सफलतापूर्वक की और वहां के बच्चों एवं ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एवं स्वास्थ्य परामर्श दिया।
‘हांदावाड़ा और लंका हैं बीहड़ क्षेत्र , जहां पहुंचने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले को पार कर जाना पड़ता है’ विदित हो कि हांदावाड़ा, लंका नारायणपुर जिले के ऐसे बीहड़़ एवं दुर्गम गांव है, जहां जाने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा की ओर से नदी-नालों को पार कर पहुंचा जाता है। बारिश के दिनों में यहां स्थितियां और भी गंभीर होती है।
डॉ डोरपा के नेतृत्व में यह दल भी इसी मार्ग के जरिये इन गांवों में पहुंचा और मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें आवश्यकतानुसार जीवनरक्षक दवाईयों का निःशुल्क वितरण किया।