बिलासपुर,न्यूज़ धमाका :-उज्जैन में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के बैनर तले 24 से 26 अप्रैल तक राष्ट्रीय कैलेंडर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें देशभर से चुनिंदा 178 शिक्षाविद,खगोल शास्त्री व वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया। तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान शक संवत पर आधारित राष्ट्रीय कैलेंडर के अलावा गैगोरियन व इस्लामिक कैलेंडर के वैज्ञानिक आधार पर चर्चा की गई। राष्ट्रीय कैलेंडर को खगोलीय घटना पर आधारित बताया गया। यह सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है। गैगोरियन कैलेंडर का वैज्ञानिक आधार नहीं है।
कार्यशाला में शामिल शिक्षाविद,खगोल शास्त्री व वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय कैलेंडर को लागू करने जनजागरण अभियान चलाने कहा गया है। यह भी कहा है कि वे अपने व्यवहार में गैगोरियन कैलेंडर के साथ ही शक संवत का भी प्रयोग करना प्रारंभ करें। उज्जैन के विक्रम विश्वविालय में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में छत्तीसगढ का प्रतिनिधित्व गर्वनमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के व्याख्याता व अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी डा धनंजय पांडेय ने किया था।
डा. पांडेय ने बताया कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय सहित देशभर के आधा दर्जन मंत्रालयों के आला अफसरों की देखरेख में कार्यशाला का आयोजन किया गया था। खगोल शास्त्री ने राष्ट्रीय कैलेंडर की प्रमाणिकता को विस्तार से बताया और प्रमाणिकता को लेकर वैज्ञानिक आधार पर बताए। इनका कहना है कि शक संवत पर आधारित राष्ट्रीय कैलेंडर ही सबसे ज्यादा प्रमाणिक हैं। कार्यशाला में राष्ट्रीय कैलेंडर के उपयोग को लेकर गंभीर चर्चा हुई है। लोगों के बीच जनजागरण फैलाने को लेकर कार्ययोजना भी बनाई गई है।