कार्यक्रम में दिखी बस्तरिया आदिवासी संस्कृति की झलक
रेला-पाटा और हुल्की मांदरी नृत्य रहा प्रमुख आकर्षण का केंद्र
क्षेत्र बुनागाँव के सघन वनांचल ग्राम चिचडोंगरी में गायता जोहारनी कार्यक्रम हर्षाेल्लास पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम में 32 गाँवो से गाँयता, पुजारी, पटेल, सिरहा, माँझी और समाज प्रमुखजनों की उपस्थिति में सर्वप्रथम बूढ़ा देव, आँगा देव की अर्जी विधिविधानपूर्वक की गयी। तत्पश्चात सभी प्रमुखों को पगड़ी बाँधकर एवं हल्दी चांवल से टीका लगाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित समाज प्रमुख, गायता, पटेल और पुजारियों ने आदिवासी संस्कृति, पेन पुरखा, गोटुल और रीती रिवाज के संबंध में अपनी- अपनी बात रखी और गायता जोहारनी की बधाई दी।
रेला -पाटा नृत्य बना आकर्षण का केंद्र – कार्यक्रम के बीच में लया लयोर और सभी के द्वारा रेला -पाटा नृत्य किया गया जो कि आकर्षण का केंद्र रहा। इस दौरान हुल्की मांदरी नृत्य, रेला नृत्य और बस्तर मचो काय सुंदर माटी गीत पर सभी गा्रमीणों द्वारा सामूहिक रूप से नृत्य किया गया। इस गायता जोहारनी के दौरान मुंडा क्षेत्र के लोग अधिकतर बस्तर की वेशभूषा जैसे धोती-कुर्ता, सफेद पगड़ी, काले जैकेट, कलगी, टंगिया और विभिन्न पारंपरिक साधनों के साथ सज-धज कर नजर आए। महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती डाॅ.जयमती कश्यप ने अपने अनुभव और आदिवासी संस्कृति को संजोए रखने के साथ सभी को अच्छी शिक्षा के लिये प्रेरित किया गया।
मौजूद रहे ये – कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुरेश नेताम संयोजक, दिनेश कोर्राम जनपद सदस्य, सरपंच रति नेताम, मड़ागाँव, फिरती कोर्राम, बुढ़ाकसा, अनिरुद्ध नेताम, उमरगाँव अ, सुश्री सीमा कोर्राम कुम्हार पारा, जयलाल मरावी किबई बालेंगा, सामाजिक कार्यकर्ता मुन्ना नेताम, दीपक कोर्राम, संजय नेताम, शंकर नेताम, मेहतू सोरी, संचालनकर्ता सुकमन नेताम, बलदेव मरकाम, सुरज नेताम, गायता पुजारी पिलू नेताम, लक्ष्मण नेताम, सुखदेव नेताम, रतन, नेताम व 32 गाँवो के गायता पुजारी, सिरहा, मांझी और ग्रामीण जन मौजूद रहे।