
तीन कृषि कानूनों के रद्द होने की खुशी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने करोंद कृषि उपज मंडी में किसानों का सम्मान किया। उन्हें मिठाइयों से मुंह मीठा किया। ढोल-ढमाकों के साथ आतिशबाजी के साथ जश्न मनाया। प्रदेश कांग्रेस सचिव मनोज शुक्ला और उनके साथियों ने इसे किसानों की ऐतिहासिक जीत बताते हुए जय जवान, जय किसान और जय संविधान के नारे लगाए। शुक्ला ने कहा कि यह किसानों के संघर्ष की जीत है। एक निरंकुश शासक को झुकने पर मजबूर करने से देश के जवान, किसान और संविधान का आज महत्व बढ़ गया है। यह एक बार फिर साबित हो गया कि भारत का लोकतंत्र पूरी दुनिया में महान है। सरकारें जनता के ऊपर अपनी मनमर्जी थोप नहीं सकती। तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं थे। उनका विरोध निरंतर हो रहा था, इसलिए कानूनों को वापस करने का निर्णय लिया गया। यदि तीनों कानून किसानों के हित में होते तो केंद्र सरकार कानूनों को वापस करने का फैसला नहीं लेती। सम्मान समारोह में रंजना शर्मा, कमरुद्दीन दाउदी, दीपक दीवान, युवराज सिंह राय, नवीन शर्मा, राजेश पवार, नेपाल ठाकुर, संजीव तिवारी, राहुल सेन, सइद, शेख उमर, अनीस सलमानी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी मौजूद रहे।
इधर तीनों कृषि कानून की वापस होने के बाद कांग्रेसियों ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी। नेहरू नगर चौराहे पर कांग्रेसियों ने कैंडल मार्च निकाला। पूर्व पार्षद प्रदीप मोनू सक्सेना के नेतृत्व में चौराहे पर दो मिनट का मौन रखकर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। केंद्र सरकार से कांग्रेसियों ने कहा कि इस तरह के काननू लाने से विरोध प्रदर्शन में कई किसानों की मृत्यु हो गई। सरकार को पहले ही तीनों कृषि नहीं लाने थे।