क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. ओपी सुंदरानी का कहना है – बच्चों में अभी तक कोरोना का गंभीर मामला सामने नहीं आया है। लेकिन आज जब रायपुर जैसे जिले में भी एक दिन में 4-5 केस आ रहे हैं, एक स्कूल में 7 मरीज मिल जाना गंभीर है। पिछले कई सप्ताह से किसी एक क्लस्टर में एक साथ इतने मरीज नहीं मिले थे। यह खतरा बढ़ा सकता है। पूरे स्कूल की जांच होगी तो यह संख्या बढ़ भी सकती है। बच्चों के परिजनों और संपर्क में आए दूसरे लाेगों की भी जांच करनी होगी। यह नई चिंता है
रायपुर न्यूज़ स्वास्थ्य विभाग की टीम सोमवार को रैंडम सैंपल जांच के लिए बेमेतरा साजा स्थित शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंची थी। इस दौरान 6 बच्चियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद यहां कंटेनमेंट जोन बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी। मंगलवार को भी एक बच्ची में संक्रमण की पुष्टि हो गई। इसके बाद संक्रमित बच्चों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है। सभी छात्राओं का घर में ही इलाज किया जा रहा है। स्कूल को 26 सितम्बर तक के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं महासमुंद जिले के बागबहरा के पास बकमा हाईस्कूल में मंगलवार को पांच बच्चे ऐसे ही रेंडम जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं तीन और बच्चों में बीमारी के लक्षण दिखे हैं। स्कूल को अगले सात दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। इस मामले में स्वास्थ्य और स्कूल शिक्षा विभाग का रवैया बेहद ठंढा है। स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बातचीत में कहा, उन्हें अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है। उनतक सूचना पहुंचेगी उसके बाद उससे निपटने का एक्शन प्लान बनाया जाएगा।प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर घट जाने से बढ़ी लापरवाहियों ने वायरस को फिर मौका दे दिया है। इस बार कोरोना का हमला स्कूलों पर हुआ है। बेमेतरा और महासमुंद जिले के दो स्कूलों में 12 बच्चे मंगलवार को कोरोना पॉजिटिव पाए गए। विशेषज्ञों ने इसे गंभीर खतरा बताया है। वहीं सरकार को सूचना का इंतजार है। स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा, सूचना आने के बाद एक्शन प्लान बनाया जाएगा।
तीसरी लहर को लेकर बच्चों पर फोकस थी तैयारियां
मार्च 2021 के बाद शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल-मई महीने में छत्तीसगढ़ में हाहाकार मचा दिया था। इस दौरान सबसे अधिक लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों ने कोरोना की एक तीसरी लहर की आशंका जताई थी। आशंका व्यक्त की गई, इसमें बच्चों को सबसे अधिक खतरा हो सकता है। केंद्र सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में बच्चों की इलाज सुविधाओं पर फोकस किया। बताया जा रहा है, रायपुर एम्स और मेडिकल कॉलेज में बच्चों के लिए 50-50 बेड की व्यवस्था रखी गई है। इसमें आईसीयू और वेंटिलेटर सुविधा भी शामिल है। सभी जिलों में बच्चों के लिए 40-40 बेड का वार्ड तैयार है। इसमें 20 बेड आईसीयू और 20 वेंटिलेटर सुविधा वाले हैं। कर्मचारियों को वेंटिलेटर आदि चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
स्कूली बच्चों पर खतरा
डॉ. ओपी सुंदरानी ने बताया, सभी स्कूल खुल गए हैं। बच्चों का टीकाकरण भी नहीं हुआ है, ऐसे में खतरा है। कोरोना को रोकने का अभी दो ही प्रभावी उपाय है। पहला मास्क पहने रखना और दूसरा हाथ को साबुन-पानी से धुलते रहना अथवा सेनिटाइज करते रहना। परिजनों को अपने बच्चों को इसके लिए अच्छे से प्रशिक्षित करना होगा। उन्हें बताना होगा कि स्कूल में वे मास्क न निकालें। हाथ को सेनिटाइज करते रहें ताकि इसीसे से कोरोना से बचे रहेंगे।