भिलाई,न्यूज़ धमाका:-जिले में संचालित निजी स्कूलों में चलने वाली बसों के रखरखाव व संचालन में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं होता है। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने समय-समय पर स्कूली बसों की जांच की। हर बार की जांच में ये बात सामने आई कि 30 फीसदी बसों में हमेशा ही खामी मिली। खामी मिलने के बाद स्कूल संचालकों को चेतावनी दिए जाने के बाद वे बसों में सुधार करवाते हैं। यदि समय-समय पर जांच न की जाए तो बधाों की जीवन संकट में पड़ना तय है। अभी दो महीने पहले ही परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने संयुक्त रूप से स्कूली बसों की जांच की थी। कुछ बसों में खामी मिलने पर चालानी कार्रवाई की गई थी और खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार स्कूली बसों के रंग से लेकर सुरक्षा के अन्य बिंदु निर्धारित हैं। जैसे बस का रंग पीला होना चाहिए। साथ ही खिड़कियों में जाली, फर्स्ट ऐड बॉक्स, फायर इंग्युशिटर, सीसीटीवी कैमरे, स्पीड गवर्नर जैसे उपकरण अनिवार्य रूप से होना चाहिए। साथ ही बसों में महिला अटेंडर होना चाहिए। बस के आगे-पीछे स्कूल का नाम, चालक, परिचालक का नाम व मोबाइल नंबर होना चाहिए। इसके साथ ही बस व चालक के दस्तावेज पूरे होने चाहिए।
यातायात पुलिस और परिवहन विभाग ने अब तक जितने भी बार बसों की जांच के लिए शिविर लगाया। उन शिविरों में लाई जाने वाली 30 फीसदी बसों में खामियां मिली हैं। अधिकांश बसों के सीसीटीवी कैमरे, स्पीड गवर्नर और कुछ बसों के ब्रेक आदि खराब मिले हैं। वहीं कुछ बस तो बिना परमिट और अपूर्ण दस्तावेज के ही चलते मिले थे। जिले में स्कूलों के अधीन करीब 500 से अधिक गाड़ियां हैं। जिनकी प्रशासन द्वारा समय-समय पर जांच भी की जाती है। प्रशासन की सख्ती के चलते ही बसों में नियमों का पालन किया जाता है।