मैनपुर,न्यूज़ धमाका:-जल संकट से निपटने के लिए प्रत्येक वर्ष शासन-प्रशासन की ओर से अनेक योजनाएं संचालित की जाती है मैनपुर नगर सहित क्षेत्र के अधिकांश तालाब अपना अस्तित्व खो चुका है। यहां गर्मी के शुरूआत मार्च में ही पानी पूरी तरह सूख चुका है जिसके चलते लोगों के सामने निस्तार की गंभीर समस्या उत्पन्ना हो गई है। लेकिन गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या लोगों के सामने विकराल रूप लेकर खड़ी हो जाती है।
जरा सी गर्मी पड़ते ही हैंडपंप व कुएं का जल स्तर नीचे चला जाता है। इसके अलावा निस्तारी का एक बहुत बड़ा स्त्रोत तालाब भी अपने अस्तित्व को खोते चले जा रहे हैं। इन बेकार पड़े व सूख चुके तालाबों से इंसान व पशुओं के अलावा अब इसमें अपना जीवन यापन करने वाले जीव जंतु भी पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
मुख्यालय मैनपुर सहित आसपास के अंचलों में तेजी से गिरते जल स्तर से लोगों में जल संकट की समस्या गहराने लगा है। तेज गर्मी के साथ लू के थपेड़े चल रहे हैं। मुख्यालयों में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के कारण यहां के नदी नालों से लेकर तालाब व कुओं का जल स्तर भी तेजी से घट रहा है।
नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनो पेयजल संकट की समस्या बनी हुई है। गर्म तापमान व तेज धूप लोगों को रूलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। गिरते जल स्तर से लोगों में निस्तारी की समस्या बनी हुई है। गर्मी में राहत दिलाने वाले कुआं, जलाशय सहित विभिन्ना जल स्त्रोत बड़ी तेजी से सुख रहे हैं, जिसे लेकर यहां के ग्रामीण बेहद चिंतित हैं।
मैनपुर सहित गौरघाट, छुईहा, गोपालपुर, कोदोभाठ, साह्लेभाठ, भाठीगढ़, नहानबिरी, भटगांव, मैनपुरकला, फुलझर, जाड़ापदर, तुहामेटा, गंगाजमुना, कुह्लाड़ीघाट, चलकीपारा, चिहरापारा, बरदुला, बोईरगांव, ठेमली, पथरी, बेहराडीह, डुमरघाट, झरियाबाहरा, तौरेंगा, कोदोमाली, इंदागांव, कोयबा, जांगड़ा, जुगांड़, शोभा, गोना, भुतबेड़ा, करेली, कुशियारबरछा, रक्शापथरा, मोतीपानी, भाठापानी सहित 50 ग्रामों के तालाबों में पानी सूख चुके हैं और ग्रामीणों के सामने अभी से निस्तारी जल की गंभीर समस्या उत्पन्ना हो गई है। क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि अस्तित्व खोते इन तालाबों मे पानी भरने के लिए शासन को योजना बनाकर बोर खनन कर तालाब भरने की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे आने वाले दिनो में लोगो को पानी की संकट से निजात मिल सके।