भिलाई,न्यूज़ धमाका :-एमबीबीएस डाक्टर बनने का सपना लेकर जिन 480 विद्यार्थियों ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था। उनका भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है। सरकार ने मेडिकल कालेज का अधिग्रहण तो कर लिया। लेकिन, पाठ्यक्रम को चालू रखने के लिए एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) को आवेदन नहीं किया। लिहाजा अभी भी यहां पर पढ़ाई पूरी तरह से ठप है।
विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है कि वे कैसे पढेंगे और परीक्षा देंगे। वहीं स्व.चंदूलाल चंद्राकर के पौत्र अमित चंद्राकर ने अपने स्वर्गीय दादा का नाम बदनाम किए जाने का आरोप लगाते हुए कालेज के अधिग्रहण के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगा दी है। जनहित याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर एक अप्रैल को सुनवाई होनी है। इस कालेज से अपने दादा नाम जुड़ा होने के कारण इसकी लड़ाई रहे अमित चंद्राकर ने बताया कि वर्ष 2011 में कचांदुर में चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज की शुरुआत की गई। वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 के सत्र के लिए यहां पर विद्यार्थियों का प्रवेश भी लिया गया। इसके बाद वर्ष 2017 से कालेज में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
उन्होंने बताया कि प्रवेश बंद होने के साथ ही कालेज में पढ़ाई भी बिल्कुल ठप हो गई। वर्तमान में यहां पर कुल 480 मेडिकल स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। जिसमें से 80 छात्र अंतिम वर्ष और 150 चतुर्थ वर्ष के हैं। कालेज प्रबंधन पर काफी ज्यादा कर्ज होने के कारण इसका संचालन ठीक से नहीं हो सका। जुलाई 2021 में राज्य सरकार ने इस कालेज का अधिग्रहण किया और दावा किया गया था कि कालेज को फिर से शुरू किया जाएगा। पढ़ाने के लिए विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति होगी और हर स्तर के कर्मचारी रखे जाएंगे। लेकिन, अभी तक वैसा कुछ भी नहीं किया गया है।
वहींअमित चंद्राकर, स्व. चंदूलाल चंद्राकर के पौत्र का कहना है कि मेरे दादा के नाम को खराब करने के लिए गलत तरीके से एक संस्था बनाकर लोगों से चंदा उगाही की गई। इसके बाद कालेज खोलकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार ने कुछ लोगों को कर्ज से उबारने के लिए कालेज का अधिग्रहण किया। फिर भी इसका लाभ न तो आम लोगों को मिला और न ही छात्रों को। इसलिए मैंने एक जनहित याचिका लगा दी है।
निरीक्षण के लिए एनएमसी को नहीं लिखा पत्र
कालेज के अधिग्रहण के बाद शासन को एनएमसी को पत्र लिखकर कालेज का निरीक्षण करवाना था। ताकि आगे की पढ़ाई नियमित रूप से शुरू हो सके। लेकिन, शासन ने एनएमसी को पत्र नहीं लिखा। जिसके कारण इस साल का पूरा एक सत्र खाली जाने वाला है। वर्ष 2018-19 से पढ़ाई प्रभावित होने के कारण अभी वहां पर जो विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। उनके अध्यापन के लिए भी वहां पर कोई विशेषज्ञ नहीं हैं।