बस्तर के तुलसीदास राम सिंह ठाकुर पर हरिहर वैष्णव द्वारा संपादित अंतिम कृति की गई समर्पित। परिवार जनों ने बताया हरिहर वैष्णव के प्रति सच्ची श्रद्धांजली।
कोंडागांव न्यूज़ हिन्दी साहित्य भारती जिला इकाई कोंडागांव एवं लाला जगदलपुरी साहित्य संस्कृति एवं शोध संस्थान कोंण्डागांव के संयुक्त तत्वाधान में कीर्तिशेष हरिहर वैष्णव को श्रद्धांजलि देने शोक सभा का आयोजन उनके निजी निवास स्थान मातेष्वरी में किया गया। जिसमें हिंदी साहित्य भारती के साथ-साथ नारायणपुर से आए साहित्यकारों ने भी शिरकत कीं। साहित्यकारों ने हरिहर वैष्णव का स्मरण करते हुए उनके साहित्य के प्रति समर्पण एवं बस्तर के साहित्यकारों को राज्यों व राष्ट्रीय पटल में स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना कीं। उनके निधन को बस्तर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ एवं राष्ट्रीय पटल पर पर साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
हरिहर के प्रयासों को आगे भी रखा जायेगा जारी
लोक साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वर्गीय हरिहर वैष्णव के प्रयासों को आगे ले जाने के लिए सभी ने सम्मिलित प्रयास करने पर बल दिया। इस अवसर पर स्वर्गीय हरिहर वैष्णव की अंतिम संपादित कृति जो कि राजीव रंजन प्रसाद एवं शिव कुमार पांडे द्वारा लिखी गई है। प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप उनके चरणों में समर्पित की गई । बस्तर नारायणपुर से पधारे बस्तर के तुलसीदास के नाम से मशहूर जिन्होंने रामचरितमानस का हल्बी में अनुवाद किया है को उनके तीनों पुत्रों ने पुस्तक के प्रकाशन को स्वर्गीय हरिहर वैष्णव के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।मौजूद रहे ये – इस अवसर पर हिंदी साहित्य भारती के जिला अध्यक्ष उमेश मंडावी हरेंद्र यादव, यशवंत गौतम, बृजेश तिवारी, मधु तिवारी, लोक चित्रकार खेम वैष्णव ,शिव कुमार पांडे, राकेश ठाकुर, लक्ष्मी नारायण, राजेंद्र ठाकुर नवनीत वैष्णव , माया देवी ,ननकी वैष्णव एवं साहित्य बिरादरी के अनेक कवि एवं परिवार जन मौजूद रहे।
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