
अंबिकापुर न्यूज़ धमाका // वन कर्मियों की चल रही हड़ताल के बीच सरगुजा वन वृत्त के जंगलों में जगह-जगह आग लगी हुई है। हालांकि इसे अधिकारी खतरनाक आग का दर्जा नहीं दे रहे हैं लेकिन आग का दायरा लगभग सभी जंगलों में बढ़ रहा है। इन सबके बीच सोमवार को मुख्य वन संरक्षक सरगुजा अनुराग श्रीवास्तव ने सरगुजा और बलरामपुर वन मंडल क्षेत्र में जंगली इलाकों का भ्रमण कर वहां आग की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान वे स्वयं जंगल में लगी आग को बुझाने जुट गए। उनके साथ सरगुजा वन मंडलाधिकारी पंकज कमल और बलरामपुर के वन मंडलाधिकारी विवेकानंद झा भी जंगल में लगी आग को बुझाते रहे।
फायर वाचर और चौकीदारों की मदद से अधिकारियों ने इलाके में लगी आग के बीच लाइन काट कर उस पर काबू पाया। सीसीएफ ने इस दौरान लुंड्रा क्षेत्र के दूरस्थ हाथी प्रभावित इलाकों का भी जायजा लिया और ग्रामीणों को महुआ एकत्र करने के दौरान सावधानी और सुरक्षा बरतने की सलाह दी और दिन ढलते ही घरों की ओर लौटने की समझाइश भी दी।
सीसीएफ सरगुजा अनुराग श्रीवास्तवसोमवार को सरगुजा एवं बलरामपुर वन मण्डल के दौरे पर थे। सरगुजा डीएफओ पंकज कमल के साथ वे लुंड्रा वनपरिक्षेत्र में हाथी प्रभावित इलाको में पहुंचे। इस दौरान जंगल के भीतर महुआ एकत्र रहे ग्रामीणों से चर्चा की। उन्होंने हाथियों के खतरे को देखते हुए सभी को दिन ढलने से पहले वहां से जाने की समझाइश दी। ये भी कहा कि महुआ एकत्र करने से पहले पत्तों की सफाई के दौरान सावधानी रखें। कचरे में आग न लगाएं। इससे जंगल में आग फैलने का खतरा बना रहेगा।
सीसीएफ श्रीवास्तव ने बलरामपुर जिले के राजपुर और बलरामपुर वन परिक्षेत्र की जंगल की सुरक्षा का जायजा लिया। इन दौरान राजपुर व बलरामपुर परिक्षेत्र के जंगल में लगी आग को देख वे अधिकारियों के साथ खुद आग बुझाने में जुट गए। दोनों स्थानों पर पत्तों में लगी आग फैल रही थी। चौकीदार और फायर वॉचर की मदद से लाइन काटकर आग पर काबू पाया गया। मुख्य वन संरक्षक ने इसके बाद रामानुजगंज नर्सरी का भी निरीक्षण किया और वहां तैनात कर्मचारियों को आग से बचने सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए।
मैदानी आग से ज्यादा खतरा नहीं
सीसीएफ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि सरगुजा और बलरामपुर के जंगलों में आग लगी है लेकिन यह मैदानी आग है जो सुखी पत्तियों, घास, झाड़ियों के जलने के बाद बुझ जाती है। हालांकि इससे पेड़ों के तने जल जाते हैं और जमीन कड़ी होने के साथ उसके खनिज तत्व नष्ट जरूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आग से बचने और उस पर समय रहते काबू पाने विभाग हर संभव उपाय कर रहा है। कर्मचारियों की हड़ताल से कुछ परेशानी है लेकिन हर बीट में चौकीदार और फायर वॉचर तैनात हैं। फायर वॉचर को आग बुझाने के उपकरण भी दिए गए हैं। सूचना मिलने पर वे ग्रामीणों की मदद से आग बुझा रहे हैं
इन कारणों से लगती है आग
—महुआ बीनने के दौरान आसपास की सफाई करने पत्तियों में लगाई गई आग।
—सड़क किनारे फैले जंगल के आसपास वाहन चालक या ग्रामीणों के द्वारा बीड़ी, सिगरेट पीकर उसे जलती हुई स्थिति में फेंकना।
—कुछ लोग नशे में जानबूझकर रंजिशवश भी जंगल में सूखे पत्तियों में आग लगा देते हैं।
ऐसे बुझाते हैं जंगल की आग
1. मैदानी आग यानी जो फरवरी मार्च महीने में अक्सर जंगलों में लगती है उसे वनकर्मी लाइन काटकर बुझाते हैं। यानी जिस जगह आग लगी होती है उसके बीच के हिस्से को साफ करके एक लाइन बना देते हैं, इसे आग एक हिस्से में सीमित रहकर बुझ जाती है।
2. जंगल में लगी सामान्य आग को पीट पीटकर भी बुझाई जाती है। इसमें वनकर्मी छोटी छोटी झाड़ियां लेकर आग को पीटते हैं इससे भी आग बुझ जाती है।
3. यह तरीका पहाड़ी या ज्यादा फैल चुकी आग को बुझाने के लिए अपनाया जाता है। इसमें आग लगने वाले स्थान के दूसरी ओर लगभग 30 से 40 फीट का इलाका साफ किया जाता है और उसके बाद दूसरे वाले हिस्से में भी आग लगा दी जाती है। इसे काउंटर फायर कहते हैं। दोनों ओर की आग एक दूसरे से मिलते ही बुझ जाती है।