राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि उनका देश चीन के खिलाफ ताइवान का साथ देगा.
अमेरिका कम से कम एक साल से गुप्त रूप से ताइवान में सैन्य प्रशिक्षकों की एक छोटी टुकड़ी के साथ उनके सैन्य बलों को प्रशिक्षण दे रहा है. एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए अमेरिका का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अमेरिका कम से कम एक साल से गुप्त रूप से ताइवान में सैन्य प्रशिक्षकों की एक छोटी टुकड़ी के साथ उनके सैन्य बलों को प्रशिक्षण दे रहा है. ताइवान ने चीन को चेतावनी दी है कि अगर चीन कई दिनों तक बीजिंग के युद्धक विमानों की घुसपैठ के बाद इस द्वीप पर कब्जा कर लेता है तो इसके ‘क्षेत्रीय शांति के लिए विनाशकारी परिणाम’ होंगे. ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने स्पष्ट किया है कि अपने आपको बचाने के लिए के लिए जो भी करना पड़ेगा, उसे करने से ताइवान नहीं चूकेगा. हाल में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया था कि लगभग दो दर्जन अमेरिकी विशेष बल के सैनिक और नौसैनिक (जिनकी संख्या का खुलासा नहीं किया गया) अब ताइवानी बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. प्रशिक्षकों को पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा ताइवान भेजा गया था, लेकिन उनकी उपस्थिति की सूचना अब तक नहीं दी गई थी. गौरतलब है कि ताइवान स्वयं को अलग राष्ट्र मानता है, जबकि चीन हमेशा से उसे अपने ही एक स्वायत्त हिस्से के तौर पर मान्यता देता रहा है. ताइवान के राष्ट्रपति का ये बयान ऐसे वक्त पर भी सामने आया है, जब चीन ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्व-शासित लोकतंत्र की जब्ती को ‘अपरिहार्य’ बताया है और बीजिंग त्साई पर उसी समय से दबाव डाल रहा है, जब वह 2016 में एक ‘स्वतंत्र’ ताइवान के जनादेश पर चुनी गई थीं. हाल के दिनों में लगभग 150 चीनी युद्धक विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है. चीन के जेट विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी, जिसे चीनी आक्रामकता में बड़ी वृद्धि के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं ताइवान अपने आपको अलग स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश मानता है. 1979 के बाद से, जब वाशिंगटन ने चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए, अमेरिकी सैनिक स्थायी रूप से द्वीप पर नहीं रहे हैं.