जनदर्षन में चारागाह के लिये दिया आवेदन टेबल टू टेबल घूम रहा। नतीजा अभी तक सिफर । बडेकनेरा की गौषाला में महिला समूह के पास चारे तक के लिए पैसे नहीं, 384 मवेषियो को रखने के लिए जगह की कमी।
प्रदेष सरकार की सबसे महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजना किस तरह सरकारी सिस्टम के आगे दम तोड़ रही। इसका जीता जागता प्रमाण बड़ेकनेरा की कामधेनु गोषाला है। जंहा पर इन दिनों हजारों बीमार और बूढ़े हो चुके पशुओं की सेवा देख रेख महिला समूह की सदस्य अपने घरों और लोगों की मदद से कर रहे। पषुओं की तादाद बढ़ती जा रही है, लेकिन अब इन महिला समूह के पास इन पषुओ की देखरेख के लिए पैसा नहीं है। वे लोगों से कर्ज लेकर किसी तरह इस गोषाला का संचालन कर रहे है। चारागाह के लिए जमीन भी नहीं है। इसके लिए आवेदन भी दिया था। लेकिन कुछ नहीं हो पाया।
पूरे संभाग से भेजे जाते है पषु – इस गोषाला में पूरे बस्तर संभाग से मवेषी भेजे जा रहे है। कामधेनु गोषाला में इन महिलाओं द्वारा की जा रही पशुओं की सेवा को देखकर कई राज्य पुरस्कार भी मिल चुके है। ये गौषाला जो पिछले 10 सालों से जिले ही नहीं प्रदेष के लिए मिसाली बनी हुई हैं । लेकिन अब दम तोड़ती नजर आ रही है। गौषाला की अध्यक्ष बिंदेष्वरीष्षर्मा ने हरिभूमि से कहा कि जिला प्रषासन की अनदेखी के कारण अब गोषाला के संचालन में काफी परेषानी हो रही है। जल्द ही हमारी मदद नही की गई तो इसका संचालन करना मुषिकल होगा। गोषाला का संचालन इस समय 2.5 एकड़ में किया जा रहा है। जहा पर 384 मवेषियों को रखने के लिए जगह की कमी बनी हुई हैi
दिये और मूर्तियां बेचकर कमाए थे 2 लाख रूपए – कामधेनु गौषाला की अध्यक्ष श्रीमती षर्मा ने बताया कि इस गौषाला का सचांलन पिछले 10 सालों से किया जा है। यहां पर गोबर से दीये और मूर्तियां बनाकर अब तक करीब दो लाख रूपए कमाए थे। जो मवेषियों की देखरेख में खर्च हो चुके है। उन्होने बताया की इस गौषाला के माध्यम से कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया। लेकिन ष्षासन की ओर से कोई मदद नहीं किए जाने से परेषानी हो रही है।
चारागाह की जमीन के लिए गुहार नहीं हो पाई सफल, पटवारी ने कहा वन विभाग से लें मदद – कामधेनु गोषाला की महिलाओं ने मवेषियों की संख्या बढ़ती देख जिला प्रषासन से जंगल में 5 एकड़ की भूमि चारागाह के लिए मांगी थी।़ इसके साथ ही कलेक्टर के जनदर्षन में आवेदन भी दिया था। जिस पर कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए उस आवेदन को एसडीएम को भेजा। इसके बाद एसडीएम ने तहसीलदार और तहसीलदार ने आरआई फिर आरआई ने पटवारी को जगह दंेखने पत्र लिखा। पटवारी संजीव कुमार षील से बात की गई तो उन्होने कहा कि राजस्व क्षेत्र में चारागाह भूमि नहीं है। जिसे वन विभाग उपलब्ध करवा सकता है। इसकी जानकारी कलेक्टर को दी जा रही है।