
कोंडागांव न्यूज धमाका – जिले में आयोजित पीएटी परीक्षा के दौरान प्रशासनिक लापरवाही के कारण छात्र परीक्षा देने से वंचित रह गए। इनमें एक छात्र सड़क दुर्घटना में घायल होकर भी समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचा, लेकिन वहां प्राथमिक उपचार की सुविधा न होने से उसे अस्पताल भेजना पड़ा, जिससे वह परीक्षा नहीं दे सका। वहीं एक छात्रा को आधे घंटे तक परीक्षा कक्ष में बैठाने के बाद ओरिजिनल आधार कार्ड न होने के कारण बाहर कर दिया गया।
घायल छात्र को मेडिकल किट के अभाव में भेजा अस्पताल
मालगांव निवासी खेमलाल मौर्य परीक्षा देने बाइक से कोंडागांव आ रहा था, इस दौरान उसकी दुर्घटना हो गई। घायल होने के बावजूद वह परीक्षा केंद्र पर समय से पहले पहुंच गया, लेकिन वहां प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी। उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया, जिससे वह परीक्षा नहीं दे सका। यह घटना परीक्षा केंद्र में स्वास्थ्य विभाग की अनिवार्य व्यवस्था की कमी को उजागर करती है।
परीक्षा कक्ष में बैठने के बाद बाहर की गई छात्रा
दीपिका मरकाम नामक छात्रा ने बताया कि उसके सभी दस्तावेज परीक्षा केंद्र पर जांच के बाद स्वीकार किए गए और उसे परीक्षा कक्ष में बैठा दिया गया। लेकिन आधे घंटे बाद एक अधिकारी ने ओरिजिनल आधार कार्ड की मांग करते हुए उसे बाहर निकाल दिया। दीपिका ने कहा कि अगर यह बात प्रवेश द्वार पर ही बताई जाती, तो वह समय रहते कार्ड मंगा सकती थी।
प्रिंसिपल ने छात्रों को ही ठहराया जिम्मेदार
इस मामले पर केंद्र प्रभारी और हायर सेकेंडरी स्कूल कोंडागांव की प्रिंसिपल चंद्रकुमारी कोर्राम ने कहा कि छात्रों को समय पर पहुंचना और ओरिजिनल दस्तावेज लाना अनिवार्य था। घायल छात्र को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया क्योंकि केंद्र पर उपचार की सुविधा नहीं थी।
स्वास्थ्य सुविधा और समन्वय की कमी उजागर
परीक्षा केंद्र पर हजारों छात्र मौजूद थे, लेकिन न तो मेडिकल टीम मौजूद थी, न ही प्राथमिक उपचार किट। जबकि परीक्षा संचालन से पहले यह अनिवार्य किया गया था कि केंद्रों पर रेडक्रॉस की किट और प्रशिक्षित स्टाफ की मौजूदगी हो।
निष्कर्ष
इस घटना ने परीक्षा संचालन में प्रशासन की तैयारियों और ज़िम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि परीक्षा प्राधिकरण और जिला प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और वंचित छात्रों को न्याय कैसे दिलाया जाएगा।