दिल्ली न्यूज़ धमाका // दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने दिल्ली दंगे से जुड़े एक केस में 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ये लोग गैरकानूनी सभा के सदस्य थे, जिनका उद्देश्य हिंदू समुदाय के बीच डर पैदा करना और देश छोड़ने के लिए धमकी देना था। पुलिस के मुताबिक, इन 10 आरोपियों ने हिंसा और लूट का सहारा लिया और 25 फरवरी 2020 को भागीरथी विहार इलाके में हिंदू समुदाय के लोगों की संपत्तियों में आग लगा दी।
गवाहों के बयानों पर भरोसा करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विरेंद्र भट ने कहा, ”रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्य पहली नजर में इस बात का खुलासा करते हैं कि गैरकानूनी ठंग ये लोग इस उद्देश्य से संगठित हुए थे कि हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों में डर पैदा कर सकें और देश छोड़ने के लिए डराएं और इसके लिए आग लगा दी और लूटपाट की।”
13 दिसंबर को दिए गए आदेश में जज ने मोहम्मद शहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैजल, राशिद और मोहम्मद ताहिर के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इन पर आईपीसी की धाराओं 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियार रखना), 436 (आग से उत्पात), 452 (हमले की तैयारी से घर में घुसना), 392 (डकैती), 149 (गैरकानूनी ठंग से एकत्रित होना) के तहत आरोप तय किए गए हैं। प्राथमिकी जगदीश प्रसाद नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसने कहा था कि दंगाइयों ने उनके बेटे की ऑटो स्पेयर पार्ट्स की दुकान को जला दिया था।
प्रसाद ने यह भी दावा किया कि भीड़ ने दुकान पर पेट्रोल बम फेंका, जिसकी वजह से यह जल गया। उन्होंने यह भी कहा कि जान बचाने के लिए वह अपने दो भाइयों के साथ पिछले गेट से भागे।(सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे। दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई तो 700 से अधिक घायल हो गए थे।