रायपुर,न्यूज़ धमाका :- छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन की मांग पूरी नहीं होने पर टेंडर प्रक्रिया का बहिष्कार कर दिया गया है। इससे प्रदेशभर में विकास कार्यों की गति धीमी हो गई है। यदि कांट्रेक्टरों की मांगों पर ठोस निर्णय शासन स्तर पर जल्द नहीं लिया गया तो सभी विभागों के निर्माण ठप हो जाएंगे।
ऐसी स्थिति में प्रदेश में करीब 12 लााख श्रमिक परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। इसलिए कांट्रेक्टर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस समस्या के निराकरण की गुहार लगाई है।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने राजधानी के सिरपुर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि समस्त ठेकेदारों ने बिलो रेट के टेंडर नहीं लेने का संकल्प लिया है। भविष्य में निर्माण कार्य भी ठप हो सकते हैं, क्योंकि भवन निर्माण सामग्री के दामों में बेतहाशा वृद्धि से हाहाकार मचा हुआ है।
उन्होंने निर्माण विभागों के अलग-अलग शेड्यूल आफ रेट (एसओआर) पर कहा- हैरानी की बात है कि निर्माण विभागों की नियमावली में एकरूपता नहीं है। एसओआर और बाजार मूल्य में धरती-आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन के अधिकारी रेट रिवाइज करने के बजाय टालमटोल कर रहे हैं।
करोड़ों का भुगतान अटका
बीरेश ने कहा कि ठेकेदारों का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में 250 करोड़ और प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण कार्यों का 100 करोड़ का बिल भगुतान नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति जनवरी 2022 से बनी हुई है। निर्माण सामग्रियों के बढ़ते दामों और विभिन्ना विसंगतियों के कारण ठेकेदारों में त्राहि-त्राहि की स्थिति है।
2017 से जीएसटी कर का भुगतान ठेकेदारों को नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 23 मई को प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बैठक होगी। जायज मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो बड़ा फैसला लिया जाएगा।
ये हैं मांगें
एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री बघेल से राहत पैकेज सहित 10 प्रमुख मांगों के निराकरण की गुहार लगाई है। एसोसिएशन का कहना है कि जिस तरह दूसरे राज्यों में छह माह पूर्व के टेंडर निरस्त कर रेट रिवाइज करके जारी करने और एसओआर व बाजार मूल्य के बीच के अंतर की 6 से 7 प्रतिशत राशि राहत पैकेज के रूप में देने का निर्णय लिया गया है।
साथ ही गौण खनिज रायल्टी से मुरम अलग है। इसी तरह राज्य सरकार यहां भी ठेकेदारों को राहत दे, ताकि गंभीर संकट को टाला जा सके और निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके।