रायपुर,न्यूज़ धमाका :- प्रदेश में अमानक और अवैध दवाओं को लेकर औषधि विभाग कितना गंभीर है, इसे इस बात से आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले तीन वर्षों में पकड़े गए 96 मामलों में एक में भी सजा नहीं हुई है। इनमें से ज्यादातर मामलों को विभाग कोर्ट ही नहीं पहुंचा पाया। ऐेसे में विभाग भी संदेह के दायरे में आ गया है। वहीं उसके ढीले रवैये से इस काम में लगे लोग बेखौफ होकर अपना काम कर रहे हैं।
औषधि विभाग के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2019-20 में लिए गए 480 सैंपल की जांच में अमानक और अवैध दवाओं के 32 मामले सामने आए थे। इसी तरह वर्ष 2020-21 में 689 सैंपल की जांच में 40 व वर्ष 2021-22 में अब तक 24 मामले सामने आए हैं। विभागीय अधिकारियों की सुस्त कार्रवाई के चलते इनमें से ज्यादातर मामले समय पर कोर्ट तक नहीं पहुंच पाए। जो पहुंचे भी उनमें केस ऐसे कमजोर बना देने की बात सामने आ रही है। ऐसे में दोषी आसानी से बच निकले हैं। विभाग अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भले ही कानूनी प्रक्रिया का हवाला दे रहा है, लेकिन आंकड़े उसकी कार्यप्रणाली की पोल खोल रहे हैं।
आधे केस में ही चालान
औषधि विभाग के अनुसार अधिकारी तीन सालों में प्रदेशभर में सामने आए 96 मामलों में से आधे में ही कोर्ट के समक्ष चालान पेश कर पाए हैं। इसमें वर्ष 2020 में 18, वर्ष 2021 में 17 और 2022 जनवरी से अब तक 14 प्रकरणों में कोर्ट में चालान प्रस्तुत कर पाए हैं।
राज्य में ऐसे सामने आए आमनक दवाओं के मामले
मामला 2021 का है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में सर्जरी व घाव में संक्रमण से बचाव के लिए पोविडोन आयोडीन दवा की आपूर्ति की गई थी। लगातार शिकायत के बाद जांच में दवा अमानक निकली। शासन ने तत्काल प्रदेशभर के अस्पतालों से दवाओं को मंगाने का आदेश दिया। इसे छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने सप्लाई किया था। जांच अब भी अधूरी है।