दंतेवाडा न्यूज़ मंदिर के प्रमुख पुजारी हरेंद्रनाथ जिया ने बताया कि, नवरात्र के दिनों में केवल मंदिर के पुजारी व सेवादार ही माता की पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करेंगे। कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि, आम नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए इस बार पद यात्रा नहीं होगी। सभी भक्तजनों, श्रद्धालुओं को घर बैठे ही दंतेश्वरी माई का दर्शन, माता की आरती, ज्योति कलश का लाइव दर्शन कराएंगे। जिला मुख्यालय में स्थित जय स्तंभ चौक में भी प्रोजेक्टर लगा कर व सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव दर्शन कराए जाएंगे। शारदीय नवरात्र भी बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में स्थित आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर का पट भक्तों के लिए बंद रहेगा। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने यह निर्णय लिया है। 2 साल में यह चौथा नवरात्र होगा कि आराध्य देवी के दर्शन करने भक्त मंदिर नहीं जा पाएंगे। इससे पहले 2 चैत्र और एक शारदीय नवरात्र में भी मंदिर का पट बंद रहा था। मंदिर समिति ने बताया कि इस साल 4100 ज्योति ही जलेंगी, जबकि हर साल 12 हजार से ज्यादा ज्योति जलती थीं भक्त मां दंतेश्वरी के मंदिर में ऑनलाइन माध्यम से दान चढ़ा सकेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन के मंदिर समिति ने बैंक से संबंधित क्यूआर कोड को भी जगह-जगह चस्पा किया है। मंदिर कमेटी के अनुसार साल भर में साल माता के मंदिर में लगभग 80 से 90 लाख रुपए दान के आते हैं, लेकिन पिछले दो सालों से यह आंकड़ा बेहद कम हो गया है। ज्यादातर दान नवरात्र के समय भक्त चढ़ाया करते थे। कोरोना के पहले नवरात्र के समय में 12 हजार से ज्यादा ज्योति जलाई जाती थी। वो भी अब कम हो गई हैं बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के दर्शन करने केवल बस्तर संभाग ही नहीं बल्कि देश और विदेशों से भी भक्त पहुंचते हैं। नवरात्र के समय दूर दराज से कई भक्त पैदल तो कई घुटने के सहारे चलकर अपनी-अपनी आस्था के अनुसार माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। सबसे ज्यादा पंचमी के दिन भक्तों की भीड़ होती थी दंतेवाड़ा जिले में स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर के साथ मान्यता यह है कि यहां पर माता सती के दांत गिरे थे। इसी वजह से इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा और देवी का नाम दंतेश्वरी देवी पड़ा। यह देवी के 52 शक्ति पीठों में से एक है। इसके अंदरूनी हिस्से में लगे स्तंभ सीमेंट या चूना पत्थर के नहीं बल्कि सागौन की लकड़ी के हैं, जिस पर ओडिशा के शिल्पकारों की बनाई नक्काशियां हैं। यहां विराजमान भगवान विष्णु की मूर्ति भी लकड़ी से निर्मित है, जबकि मां दंतेश्वरी की प्रतिमा संगमरमर से निर्मित है
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