मुंबई

बेगूसराय के कन्हैया को बचपन से मिला लीलाओं का आशीर्वाद, शहादत की सियासत पर लिखी भावुक कहानी

मुंबई,न्यूज़ धमाका :- अगर भगवान कृष्ण पर कोई नई कहानी बननी हो तो अभिनेता कुमार कन्हैया सिंह अपने रंग रूप और चेहरे मोहरे के चलते उसमें इस किरदार के लिए बिल्कुल फिट बैठते हैं। माता पिता भी उनके उन्हें बचपन से कन्हैया इसीलिए कहते रहे। कन्हैया बड़े हुए तो दरवाजे पर आए एक साधु के सामने उनकी मां ने उन्हें प्रणाम करने को कहा। साधु ने उस दिन आशीर्वाद दिया, उसने कुमार कन्हैया सिंह के जीवन की दिशा बदल दी। अभिनय उनका लक्ष्य बन गया लेकिन इस लक्ष्य को साधने के साथ साथ सामाजिक सेवा का अपना प्रण भी उन्होंने नहीं छोड़ा। रोबोटिक्स में उनका कुछ बड़ा करने का सपना है और बिहार के गांवों की कहानियों को परदे पर लाने का उनका काम शुरू हो चुका है।

मिट्टी से सीखी किरदार की ईमानदारी
बिहार के बेगूसराय में जन्मे कुमार कन्हैया सिंह से मिलना हिंदी फिल्म जगत में हर रोज आने वाले हजारों युवाओं की नजर से इसे देखने का जरिया भी बनता है। हिंदी फिल्म जगत जिस एक बात के चलते लगातार देश के दूसरे भाषाई सिनेमा से पिछड़ रहा है, उसके बारे में कन्हैया खुलकर बातें करते हैं। उन्होंने बिहार की गलियां देखी हैं, देश के बड़े मेट्रो शहरों की तेजी से बदलती जिंदगी देखी है और ये भी देखा है कि सिनेमा की कड़ी दर्शकों से कहां टूट रही है। वह कहते हैं, ‘अभिनय मेरा लक्ष्य है लेकिन ये अभिनय परदे पर नकली ना लगे इसके लिए मैं असली जीवन से खुद को दूर नहीं करना चाहता।’

विरासत में मिला सिनेमा से लगाव
सिनेमा का स्वाद कन्हैया को अपने पिता से मिला। वह बताते हैं, ‘हमारे घर पर एक बार एक साधु बाबा आए, उन्होंने घर वालों के सामने पता नहीं क्या सोचकर कह दिया कि ये बच्चा मनोरंजन जगत में बड़ा नाम करेगा। बिहार के लोगों के लिए बंबई तब भी दूर की बात थी। लोगों ने सोचा शायद ये बेगूसराय या मोकामा में सिनेमाघर खोलने का काम करेगा। पापा खूब फिल्में देखते थे। मुझे भी वहीं से सिनेमा का स्वाद मिला।’

बेस्ट स्काउट का राष्ट्रपति पुरस्कार
लेकिन समाज सेवा और राष्ट्र सेवा कुमार कन्हैया सिंह को घुट्टी में मिली है। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के हाथों बेस्ट स्काउट का पुरस्कार पा चुके कन्हैया अपने गुरु अजय कुमार सिंह के बारे में बताते हैं तो उनके चेहरे की दमक देखने लायक होती है। कन्हैया के मुताबिक, अजय सर ही वह शख्स रहे जिन्होंने उनको गोष्ठियों, लघु नाटकों और दूसरी सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया।

शहादत की सियासत की कहानी
कुमार कन्हैया सिंह को सिनेमा में पहला ब्रेक साल 2019 में रांची के एक फिल्म निर्माता से मिला। फिल्म कोरोना संक्रमण काल के चलते अटकी तो बीते दो साल कुमार कन्हैया ने जमीन से जुड़ी कहानियां तलाशने में लगा दिए। वह बताते हैं, ‘मेरे जिले बेगूसराय का एक युवा सीमा पर शहीद हो गया। तिरंगे में लिपटकर आए बेटे को दर्द उसके घरवाले सह नहीं पा रहे थे और इसी बीच नेताओं ने वहां के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। वे शहीद के घरवालों के साथ फोटो खिंचवा रहे थे और घरवाले अपने खून के आंसू भी नहीं छलकने दे रहे थे। इस दर्द को मैंने समझा और इस पर एक कहानी लिखी ‘गोल्डस्टार’। कई निर्माताओं ने इस पर सीरीज बनाने के लिए मुझसे संपर्क किया है। लेकिन, पहले मैंने इसे पुस्तक की शक्ल में प्रकाशित करना बेहतर समझा।’

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Chhattisgarh News Dhamaka Team

स्टेट हेेड छत्तीसगढ साधना प्लस न्यूज ( टाटा प्ले 1138 पर ) , चीफ एडिटर - छत्तीसगढ़ न्यूज़ धमाका // प्रदेश उपाध्यक्ष, छग जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन छत्तीसगढ // जिला उपाध्यक्ष प्रेस क्लब कोंडागांव ; हरिभूमि ब्यूरो चीफ जिला कोंडागांव // 18 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। विश्वसनीय, सृजनात्मक व सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रूचि। कृषि, वन, शिक्षा; जन जागरूकता के क्षेत्र की खबरों को हमेशा प्राथमिकता। जनहित के समाचारों के लिये तत्परता व् समर्पण// जरूरतमंद अनजाने की भी मदद कर देना पहली प्राथमिकता // हमारे YOUTUBE चैनल से भी जुड़ें CG SADHNA PLUS NEW

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