
बिलासपुर न्यूज धमाका – छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में बिलासपुर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोलकाता में मजिस्ट्रेट के समक्ष हुआ विवाह अदालत ने स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों का पालन न होने के आधार पर अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों बालिग हैं और साथ रहना चाहते हैं, तो वे विधिवत तरीके से दोबारा विवाह कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
कोरबा जिले के कटघोरा निवासी युवक ने अपनी पत्नी को जबरन अलग रखने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। युवक ने बताया कि वह और युवती आपसी सहमति से कोलकाता में विवाह कर चुके हैं और युवती अब भी उसी के साथ रहना चाहती है।
हालांकि, पुलिस और परिजनों के हस्तक्षेप के बाद युवती को सखी सेंटर और फिर शक्ति सदन भेज दिया गया। इस पर युवक ने कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट ने बदली दिशा
हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्यस्थता कमेटी का गठन किया। कमेटी ने युवक, युवती और उनके परिजनों की काउंसलिंग की और रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने कोलकाता में हुआ विवाह स्पेशल मैरिज एक्ट का उल्लंघन मानते हुए उसे अवैध ठहराया।
कोर्ट ने क्या कहा?
- युवती को फिलहाल सखी सेंटर में रहने का निर्देश
- कलेक्टर कोरबा को युवती की सुरक्षा और उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश
- युवक-युवती को दोबारा स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विधिक विवाह करने की छूट दी गई
- कोर्ट ने यह भी माना कि दोनों बालिग हैं और अपना फैसला लेने में सक्षम हैं
‘लव जिहाद’ का बना विवादित मुद्दा
इस मामले को कई हिंदू संगठनों ने लव जिहाद से जोड़ते हुए विरोध जताया था। युवती द्वारा मुस्लिम युवक तौशीफ मेमन से विवाह करने पर विवाद बढ़ा और पुलिस ने दोनों को कोलकाता से कटघोरा लाकर पूछताछ की। बाद में प्रशासनिक दबाव के चलते युवती को सखी सेंटर भेज दिया गया था।
क्या आगे होगा?
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि प्रेम विवाह, धार्मिक पहचान और विधिक प्रक्रिया कैसे आपस में उलझते हैं। हाई कोर्ट का यह निर्णय कानून के अनुसार वैवाहिक प्रक्रिया की महत्ता को रेखांकित करता है।