
बिलासपुर न्यूज धमाका – भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक कर्मचारी पर महिला ग्राहक के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप साबित होने के बाद बैंक द्वारा दी गई अनुशासनात्मक सजा को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कर्मचारी की याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
SBI के एक शाखा में कार्यरत ग्राहक सहायक पर महिला ग्राहक ने यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। जांच के दौरान सामने आया कि कर्मचारी द्वारा केवल एक नहीं, बल्कि कई ग्राहकों और सहकर्मियों के साथ भी अनुचित व्यवहार किया गया था।
जांच में पाया गया कि:
- यौन उत्पीड़न से संबंधित आरोप आंतरिक शिकायत समिति द्वारा प्रमाणित किए गए।
- कुल 6 आरोपों में से 3 आरोप पूर्णत: और 3 आंशिक रूप से साबित हुए।
बैंक ने क्या सजा दी?
बैंक ने कर्मचारी पर दो वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) रोकने का दंड लगाया, जिसे संचयी प्रभाव से लागू किया गया है। इसका असर कर्मचारी के रिटायरमेंट तक के वेतनमान पर पड़ेगा।
हाई कोर्ट का फैसला
कर्मचारी ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि:
- जांच प्रक्रिया उचित और सक्षम अधिकारी द्वारा की गई थी।
- सजा न तो “चौंकाने वाली” है और न ही “असंगत”।
- अपीलीय प्राधिकारी द्वारा सजा को तर्कसंगत ढंग से संशोधित किया गया है।
कर्मचारी की दलीलें अस्वीकार
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह भी कहा कि:
- आरोप झूठे हैं।
- गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया।
- पीड़िता के बयान दर्ज नहीं किए गए।
हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और माना कि जांच निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर की गई है।