
मध्यप्रदेश,न्यूज़ धमाका :- कई जगहों पर टैटू बनाने की दुकानें भी खुल गई हैं। मगर ये शौक कई लोगों पर भारी पड़ रहा है। किसी को त्वचा संबंधी समस्याएं हो रही हैं तो किसी को हेपेटाइटिस की बीमारी। इसके अलावा कइयों की मांसपेशियों तक को नुकसान पहुंच रहा है।
कुछ सालों में झांसी में टैटू बनवाने का क्रेज लोगों में बढ़ गया है। कई जगहों पर टैटू बनाने की दुकानें भी खुल गई हैं। मगर ये शौक कई लोगों पर भारी पड़ रहा है।
किसी को त्वचा संबंधी समस्याएं हो रही हैं तो किसी को हेपेटाइटिस की बीमारी। इसके अलावा कइयों की मांसपेशियों तक को नुकसान पहुंच रहा है।
टैटू की इंक में कार्सिनोजेनिक नामक केमिकल होता है, जो त्वचा में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं। टैटू बनाने के लिए ज्यादातर नीले रंग की स्याही का इस्तेमाल होता है। इसमें एल्यूमिनियम और कोबाल्ट होता है, जो त्वचा के लिए बेहद हानिकारक है।
मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि टैटू बनवाने पर अब हर महीने तीन-चार लोगों में संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं। जबकि, पहले दो-तीन महीनों में एक-दो मामले ही आते थे।
न्होंने बताया कि टैटू बनवाने से एलर्जी हो जाने से त्वचा लाल पड़ जाती है। एक बार ही टैटू गुदवाया है तो डाई की वजह से कई सालों बाद स्किन कैंसर हो सकता है।
वहीं, मेडिकल कॉलेज के फिजीशियन डॉ. जकी सिद्दीकी ने बताया कि टैटू बनवाने की वजह से हेपेटाइटिस सी होने के मामले भी अस्पताल में सामने आए हैं। कई लोग अपनी पत्नी का नाम गुदवा लेते हैं।
इससे भी हेपेटाइटिस की बीमारी होने की आशंका रहती है। ये बीमारी ब्लड कांटेक्ट से होती है। इसका पता 15 से 20 साल बाद तक चलता है।
वहीं, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मयंक बंसल ने बताया कि कई बार टैटू बनवाने से शरीर में गहराई तक सुई चुभाई जाती है, इससे मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है। कभी-कभी खून का थक्का जमकर गांठ बन जाती है।