
मुंबई न्यूज़ धमाका /// बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को 2018 भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी है। निचली अदालत 8 दिसंबर को डिफ़ॉल्ट जमानत की शर्तों पर फैसला करेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने मामले के अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। बताया जाता है कि वैधानिक हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद एक आरोपी डिफ़ॉल्ट जमानत पाने का हकदार है।
महाराष्ट्र सरकार ने पहले सुधा भारद्वाज की डिफॉल्ट जमानत याचिका का विरोध किया था। भारद्वाज ने पहले इस आधार पर डिफ़ॉल्ट जमानत मांगी थी कि पहले के दो आदेश, जो 2018 में पुणे सत्र अदालत में पारित किए गए थे, उस अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर थे। भारद्वाज के वकील ने तर्क दिया कि इस प्रकार इस तरह की अवैधताओं में शामिल होने पर जमानत दी जानी चाहिए।
एल्गार परिषद मामले में कई संदिग्धों को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का कहना है कि पुणे में एल्गार परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 31 दिसंबर 2017 को कुछ भड़काऊ भाषण दिए गए थे। जिस कारण 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव इलाके में दंगे हुए थे। इसके बाद पूरे भारत से एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने कुछ आरोपियों के परिसरों पर छापेमारी की तो उनके गैजेट्स से आपत्तिजनक दस्तावेज मिले थे।