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मुंबई न्यूज़ धमाका /// देशभर में बढ़े रहे साइबर ठगी के मामलों पर शिकंजा कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक साल 2022 से दो जरूरी बदलाव करने जा रहा है। पहला यह कि अब आपको ऑनलाइन खरीदारी या भुगतान करते समय हर बार क्रेडिट या डेबिट कार्ड का पूरा ब्योरा दर्ज करना होगा। संबंधित ई-कॉमर्स वेबसाइट अब पहले से इनकी जानकारी सुरक्षित नहीं रख पाएंगी। दूसरा यह है कि बार-बार कार्ड का ब्योरा दर्ज करने से बचने के लिए ग्राहक टोकन नंबर ले सकेंगे। इस व्यवस्था को टोकनाइजेशन नाम दिया गया है।
पहले यह 1 जनवरी से लागू होने वाला था, लेकिन अब आरबीआई ने इस डेडलाइन को 6 माह के लिए बढ़ा दिया है। इसका मतलब यह है कि टोकनाइजेशन की सुविधा 30 जून के बाद लागू की जाएगी। आइए जानते हैं क्या है टोकन सिस्टम….
अभी होता यह है कि डिजिटल लेनदेन करते वक्त ई-कॉमर्स साइट आपके कार्ड की जानकारी सुरक्षित रख लेती हैं। भुगतान करते समय आपको केवल सीवीवी नंबर और एक्सपायरी डेट दर्ज करनी होती है। इसके चलते डाटा चोरी होने पर साइबर धोखाधड़ी का खतरा हमेशा बना रहता है। इससे लोगों को बचाने के लिए ही टोकनाइजेशन व्यवस्था को लागू किया जा रहा है।
कैसे काम करेगा टोकनाइजेशन
इस व्यवस्था में आपके कार्ड की जानकारी को यूनिक वैकल्पिक कोड में बदल दिया जाएगा। इस कोड की मदद से भुगतान संभव हो सकेगा। इस प्रक्रिया में भी आपको अपने कार्ड के सीवीवी नंबर और वन टाइम पासवर्ड की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा अतिरिक्त सत्यापन के लिए भी सहमति देनी होगी।
ऐसे करना होगा भुगतान
डिजिटल भुगतान के दौरान आपको टोकन नंबर चुनने का विकल्प दिया जाएगा। इस पर क्लिक करते ही संबंधित कार्ड की जानकारी को टोकन नंबर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आपकी सहमति लेकर अनुरोध भेजा जाएगा। इसके बाद आपको कार्ड नंबर की बजाय टोकन नंबर दिया जाएगा। इसकी मदद से भुगतान कर पाएंगे। खास बात यह है कि अलग-अलग वेबसाइट के लिए एक ही कार्ड के लिए अलग-अलग टोकन नंबर जारी किए जाएगा।
कौन जारी करेगा टोकन नंबर
वीजा, मास्टरकार्ड और रूपे जैसे कार्ड नेटवर्क के जरिए टोकन नंबर जारी किया जाएगा। वह कार्ड जारी करने वाले बैंक को इसकी सूचना देंगे। कुछ बैंक कार्ड नेटवर्क को टोकन जारी करने से पहले बैंक से इजाजत लेनी पड़ सकती है।
डाटा चोरी का खतरा कम होगा
ई-कॉमर्स वेबसाइट बैगर आपकी सहमति के कार्ड की जानकारी को सुरक्षित रख लेती हैं। कई साइटों पर इन्हें हटाने का विकल्प भी नहीं होता। ऐसे में डाटा चोरी होने का खतरा बढ़ जाता था। नई व्यवस्था में कार्ड का विवरण इनक्रिप्टेड ढंग से सुरक्षित किया जाएगा, जिससे डाटा चोरी होने का खतरा कम हो जाएगा।