विषेष लोक अभियोजक हेंमत गोस्वामी ने बताया कि पीडिता ने आज 27 को थाना कोण्डागांव में उपस्थित होकर रिपोर्ट की थी कि 26 अप्रैल 2019 को उसके ग्राम माकडी में शादी समारोह चल रहा था। जिसमें ग्राम बडे आमाबाल से बराती आये थे, उसी दिनांक को रत्रि लगभग 11ः00 बजे वह और उसकी सहेली विवाह घर में भीड-भाड होने से बाथरूम करने खेत तरफ गये थे । 04 लडके पीडिता का मुंह दबाकर उसे खींचते हुए खेत के आगे मैदान में ले जाकर उसके साथ जबरन बलात्कार किये व जान से मारने की धमकी दिये । इस प्रकरण में शासन की ओर हेमंत गोस्वामी, विषेष लोक अभियोजक ने पैरवी की ।
पीडिता ने मोबाईल की रोषनी में देखे थेा चेहरे – पीडिता ने लडकों का चेहरा उनके मोबाईल टार्च की रोषनी से देख लिया था, फिर वह अपने घर वालों को पूरी घटना के बारे में बतायी। जिसमें पिंकू कष्यप, पंकू कष्यप एवं मनोज उर्फ कंवल बघेल होना बताये । आरोपीगण पिंकू कष्यप, मनोज उर्फ कंवल बघेल एवं विधि के साथ संघर्षरत बालक पंकू कष्यप के विरूद्ध थाना कोण्डागांव में धारा 376(डी), 506 भा.द.वि. एवं धारा 4,6 लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम के तहत् अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया ।
आरोपियों को दी गयी आजीवन कारावास की सजा – कोण्डागांव जिले के अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोण्डागंाव के न्यायाधीश शान्तनु कुमार देषलहरे ने प्रकरण का विचारण कर आरोपीगण को धारा 06 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत अभियुक्त पिंकू कष्यप एवं मनोज उर्फ कंवल बघेल को आजीवन सश्रम कारावास की सजा और 5000-5000 रूपये के अर्थदण्ड अर्थदण्ड की राशि अदा नहीं होने के व्यतिक्रम पर क्रमषः 03-03 वर्ष के अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगतने का आदेष पारित किया गया है ।
नाबालिक को 20 साल की सजा – प्रकरण में विधि के साथ संघर्षरत बालक पंकू कष्यप जिसकी वर्तमान में 19 वर्ष उम्र है तथा उसे किषोर न्याय बोर्ड कोण्डागांव द्वारा व्यस्क के रूप में उसके द्वारा कारित अपराध की गंभीरता के आधार पर विचारण मेें विधि का उल्लघंन करना पाया गया है। विधि के साथ संघर्षरत बालक पंकू कष्यप को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत 20 वर्ष के साधारण कारावास एवं 5000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है । अर्थदण्ड की राषि अदा ना करने पर उसे 3 वर्ष के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा पृथक से भुगताई जाने का आदेष पारित किया गया है । विधि का उल्लघंन करने वाले बालक को 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जावेगा ।