छत्तीसगढ न्युज धमाका। अफगानिस्तान में आत्मघाती धमाके की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन ISIS-K से ना सिर्फ अफगानियों बल्कि तालिबानियों को भी खतरा है।
गुरुवार को अफगानिस्तान के काबुल में बम धमाकों के पीछे एक नये आतंकी संगठन ISIS -K का नाम सामने आ रहा है। इसने 90 से ज्यादा लोगों की मौत और 150 से ज्यादा लोगों को घायल करने वाले इस ब्लास्ट की जिम्मेदारी भी ली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये संगठन है क्या, कैसे बना और इसने क्या-क्या कारनामे किये? हम आज आपको इस संगठन के बनने और विकसित होने तक की पूरी जानकारी देंगे, ताकि आपका पता चल सके कि मासूमों के खून से अपने हाथ रंगनेवाले इस संगठन का असली चेहरा कैसा है।
ISIS का सहयोगी है ISIS-K
ISIS-K ने कुछ ही सालों में अफगानिस्तान में अपना गढ़ बना लिया है और इस इलाके के सबसे खतरनाक आतंकवादी समूहों में से एक बन गया है। गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे के बाहर घातक आत्मघाती हमले को ISIS-K का अब तक सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने CNN को बताया था कि ISIS-K में सीरिया और दूसरे विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की एक छोटी संख्या में अनुभवी जिहादी शामिल हैं। लेकिन अब इसकी ताकत लगभग 1,500-2,000 है, और ये संख्या जल्द ही बढ़ सकती है। क्योंकि कुछ पकड़े गए ISIS-K लड़ाके काबुल के पास जेलों में रखे गए थे। तालिबान ने हाल ही में अपने हमलों के दौरान इन जेलों पर भी धावा बोला था, और सभी कैदियों को रिहा कर दिया था। इनमें से कई ISIS-K के सदस्य भी थे।
कब बना ये संगठन?
ये संगठन ISIS से ही टूटकर बना एक ग्रुप है। ISIS-खुरासान प्रोविंस के नाम से बने इस ग्रुप का गठन 2014 में हुआ था, जब पाकिस्तान, तालिबान और अफगान के कुछ लड़ाके ISIS के पुराने लीडर अबू-बक्र-अल-बगदादी के नेतृत्व में अलग हो गये थे। सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के अनुसार, इसके शुरुआती सदस्यों में पाकिस्तानी आतंकवादी शामिल थे, जो लगभग एक दशक पहले अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में उभरे थे। इनमें से कई पाकिस्तान से भाग आए थे और दूसरे आतंकी समूहों से अलग हो गए थे। इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के अनुसार, 2018 में इसे दुनिया के चौथे सबसे घातक आतंकी समूह का दर्जा दिया गया था। जिसने तब तक 1,000 से ज्यादा लोगों की जान ली थी और इसमें ज्यादातर अफगानिस्तान के थे।
अब तक कितने हमले किये?
इसके उग्रवादियों ने ज्यादातर तालिबान से ही लड़ाई लड़ी है। इसके लड़ाके ISIS की लड़ाईयों में हिस्सा लेने के लिए सीरिया, ईराक आदि जगहों पर जाते रहते हैं। उन्होंने हाल के महीनों में अफगानिस्तान में पैदा हुई अस्थिरता का फायदा उठाया और अपनी स्थिति मजबूत कर ली। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार,
- ISIS-K ने इस साल के पहले चार महीनों में 77 हमले किए।
- समूह ने अफगानिस्तान में नागरिकों पर सबसे घातक हमलों में से कुछ को अंजाम दिया है।
- राजधानी काबुल में इसने कई बड़े आत्मघाती बम विस्फोट किए हैं। 2018 में इसने ने सार्वजनिक स्थानों पर 15 हमले किए और 393 लोग मारे गए।
- 2018 जुलाई में, पाकिस्तान के मस्तुंग में एक चुनावी रैली में ISIS-K के आत्मघाती हमलावर ने 128 लोगों को मार डाला था। यह 2018 में दुनिया भर के सबसे खूनी हमलों में से एक था।
- अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ISIS-K आत्मघाती बम विस्फोटों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहता है।
- 2019 में, US सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल जोसेफ वोटेल ने ISIS-K को एक बड़ा खतरा बताया था
- 2018 में इसकी स्थिति में गिरावट के बावजूद माना जाता था कि काबुल और जलालाबाद जैसे शहरों में इसके कई स्लीपर सेल हैं और इसके आतंकवादी तालिबान के लिए खतरा बने रहे थे।