नई दिल्ली न्यूज़ धमाका /// कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को पार्टी के ‘ जी 23’ समूह के नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह ही पार्टी की स्थायी अध्यक्ष हैं और उनके बात करने के लिए मीडिया का सहारा लेने की जरूरत नहीं हैं. उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह भी बताया कि अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 30 जून तक पूरी की जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ही इसे टालना पड़ा और अब इसकी रूपरेखा पेश की जाएगी
सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण अध्यक्ष के चुनाव को लेकर समयसीमा बढ़ानी पड़ी थी. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘अगर आप मुझे बोलने की इजाजत दें तो मैं पूर्णकालिक और सक्रीय अध्यक्ष हूं. पिछले दो सालों में कई साथियों और खासकर युवा नेताओं ने नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उठाई है और पार्टी की नीतियों को लोगों तक लेकर गए हैं.’’ उन्होंने जी 23 नेताओं को नसीहत देते हुए कहा, ‘‘मैंने सदा स्पष्टवादिता की सराहना की है. मुझसे मीडिया के जरिये बात करने की जरूरत नहीं है. इसलिए हम सभी यहां खुली और ईमानदार चर्चा करते हैं. लेकिन इस चाहरदीवारी से बाहर जो बात जाए वो सीडब्ल्यूसी का सामूहिक फैसला होना चाहिए.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं की ओर से पार्टी के भीतर संवाद की मांग किए जाने और हाल के महीनों में कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की पृष्ठभूमि में सीडब्ल्यूसी की बैठक हो रही है. पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की मांग की थी. आजाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पार्टी से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्य समिति की तत्काल बैठक बुलाई जाए. सिब्बल ने भी पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान के बीच पिछले दिनों पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे गांधी कहा कि इस बार हम, किसानों और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन की पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं. संसद के माध्यम से ‘तीन काले कानून’ को वापस लेने की मांग करते एक साल से अधिक समय हो गया है. हमारे विरोध बाद भी मोदी सरकार उन्हें पारित कराने पर तुली हुई थी, ताकि कुछ निजी कंपनियों को फायदा हो सके. किसानों ने तुरंत अपना विरोध शुरू कर दिया और तब से अब तक बहुत कुछ झेला है. लखीमपुर-खीरी की चौंकाने वाली घटनाएं हाल ही में हुई हैं. भाजपा लगातार किसानों को धोखा देती रही है