भोपाल न्यूज़ धमाका // इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसी तारीख, जो अपने अंदर ढेर सारे जख्म समेटे हुए है। दो और 3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसा हुआ, जिसने देश-दुनिया को झकझोर के रख दिया था। इस रात भोपाल के यूनियन कार्बाइड के प्लांट से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ, जो पूरे शहर में फैल गई। उस वक्त शहर के लोग चैन की नींद सो रहे थे। लेकिन इस जहरीली गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इस त्रासदी को 37 साल बीत गए हैं लेकिन जख्म आज भी गहरे और ताजे हैं।
हर रोज की तरह उस दिन भी भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री अपने समय से खुली। यहां काम करने वाले कर्मचारी अपने-अपने कामों में लगे हुए थे। शाम तक सबकुछ एकदम पटरी पर था। वहीं 2 और 3 दिसंबर के दरमियान की वो काली रात के करीब 11 बजे फैक्टरी के प्लांट नंबर ‘सी’ के टैंक नंबर 610 में भरी जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस में पानी भर गया। केमिकल रिएक्शन से बने दबाव को टैंक सह नहीं पाया और वो खुल गया। इससे जहरीली गैस का रिसाव होने लगा। हवा के साथ ये गैस पूरे इलाके में फैल गई और आंखें खुलने से पहले ही हजारों लोग मौत की नींद सो गए। वहीं गैस प्रभावित लोग और उनकी दूसरी, तीसरी पीढ़ियां आज भी इस त्रासदी का दंश झेल रहीं हैं।
गैस पीड़ित संगठन से जुड़ी रचना ढींगरा, राशीदा बी, नौशीन खान, नवाज खान, साधना प्रधान, बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि 37 साल बाद भी गैस पीड़ितों को उनका हक नहीं मिल पाया है। बता दें कि हर साल 3 दिसंबर के गैस कांड की बरसी होती है। दुनिया की भीषणतम त्रासदी में शामिल भोपाल गैस कांड 2 व 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को भोपाल के जेपी नगर कारखाने में हुआ था। इसमें लाखों लोग प्रभावित हुए थे और हजारों लोगों की मौत हो गई थी। इस प्रभाव का असर तीसरी पीढ़ी तक देखने को मिल रहा है