आंखें ईश्वर की अनुमोल देन मंे से एक है। इस संसार को देखने समझने महसुस करने के साथ क्रिया प्रतिक्रिया में मानव नेत्र का कितना योगदान है यह कहने की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में आधुनिकतम तकनीक और उपचार के माध्यम से आंखों की रौशनी को फिर से स्वास्थ, सक्रिय रखा जा सकता है।
नेत्ररोगियो का जिलेभर में चल रहा है सर्वे – कोण्डागांव जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंधत्व निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के विकासखण्डों में नेत्र रोगियों का सर्वे करा कर उन्हें जिला अस्पताल में ही आंखों के उपचार और शल्य क्रिया की सुविधा दी जा रही है। जिससे नेत्र रोगियों के जीवन को नई रौशनी मिल रही है।
इस संबंध में सहायक नोडल अधिकारी अनिल वैद्य ने बताया कि जिला अस्पताल कोण्डागांव में जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ टीआर कुंवर एवं सिविल सर्जन डॉ संजय बसाख के मार्गदर्शन में जिले के प्रत्येक विकासखंड के लिए रोस्टर तैयार कर जुलाई माह में सभी मोतियाबिंद के मरीजों के उपचार के लिये बडा अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत प्रत्येक सोमवार को मरीजों को लाकर उनकी जांच के उपरांत मंगलवार को ऑपरेशन किया जाता है। इसके अतिरिक्त ऐसे मरीज जिनका सोमवार को उपचार नहीं हो पाता उनके लिए विशेष तिथि निर्धारित कर उपचार किया जाता है। साथ ही सभी विकासखंडों में बैकलॉग, दोनों आंखों की मोतियाबिंद मरीजों के ऑपरेशन की सुविधा के लिए प्रति बुधवार को भर्ती एवं गुरुवार को ऑपरेशन करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
अभी तक किये जा चुके है पांच सफल ऑपरेषन – जिला चिकित्सालय में अप्रैल से जुलाई 2021 तक 177 कैटरेक्ट मोतियाबिंद ग्लूकोमा के 03 और माईनर ओटी के 12 एवं आंखों में लगे चोट से ‘कार्निया‘ के 05 ऑपरेशनों को सफल अंजाम दिया गया। मोतियाबिंद के मरीजों के निःशुल्क इलाज के लिये लगातार जिला अस्पताल द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।
नेत्र सर्जन डॉ कल्पना मीणा की टीम जुटी है पूरी दक्षता के साथ – पूर्व वर्षों में जिला चिकित्सालय नेत्र विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई थी परन्तु वर्तमान में नव नियुक्त नेत्र सर्जन डॉ कल्पना मीणा की नियुक्ति के पश्चात् नेत्र शिविरों के आयोजन में बढ़ोत्तरी हुई है। इस चिकित्सकीय टीम में डॉ कल्पना मीणा के नेतृत्व के अलावा जिला नोडल अंधत्व निवारण डॉ हरेन्द्र बघेल, नेत्र सहायक अधिकारी अशोक कश्यप, अनिल वैद्य शामिल हैं। जिले में नेत्र उपचार के अंतर्गत आधुनिकतम पद्धति के ‘फेको इमल्सीफिकेशन‘ उपकरण द्वारा मरीजों का उपचार किया जाता है। जिसे जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ मद से प्रदाय किया गया है।
लैंस प्रत्यारोपण भी है निषुल्क – रोस्टर अनुसार विकासखण्ड के चयनित मरीजों को नियत तिथि पर जिला अस्पताल में लाकर मोतियाबिंद का इलाज आधुनिक मशीनों द्वारा किया जाता है और गुरुवार को ही माकड़ी विकासखंड के दो एवं फरसगांव विकासखंड के 13 मरीजों का सफल ऑपरेशन टीम द्वारा किया गया । साथ ही प्रत्येक मोतियाबिंद ऑपरेशन के साथ निःशुल्क लैंस प्रत्यारोपण कर मरीजों का नेत्र सर्जन द्वारा स्लिट लैंप द्वारा जांच करते हुए आवश्यक दवाइयां एवं चश्में भी दिये गये।
चिकित्सकों की टीम ने यह भी बताया कि कोण्डागांव जिले को मोतियाबिंद मुक्त जिला बनाने के लिये टीम द्वारा भरसक प्रयत्न किये जा रहे हैं और आने वाले समय में शिविरों की संख्या को बढ़ाया जायेगा। जिससे नेत्र रोगियों की संख्या में और भी कमी आयेगी। यह मुहिम उन दूरस्थ वन ग्रामों में निवास करने वाले ग्रामीणों के लिये वरदान है जो मोतियाबिंद की बीमारी को जीवन की नियति मान बैठे थे। नेत्र रक्षक चिकित्सकों की टीम उनके लिये किसी देवदूत से कम नहीं है जिन्होंने उनके अंधत्व की ओर बढ़ते जीवन में आशा का उजाला भर दिया है।