शारीरिक व्याधियां यदि किसी इंसान को हो तो उनकी पहचान एवं ईलाज करना संभव हो पाता है । परन्तु मानसिक व्याधियों से जुझ रहे इंसान की पहचान एवं उनके ईलाज में लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। मानसिक रोगियों को कई बार स्वयं की बीमारी के संबंध में भी ज्ञान नहीं होता और वे स्वयं को आहत करने के साथ अन्य लोगों को भी अनभिज्ञता में गंभीर रूप से हताहत कर जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों के परिजनों को सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक व्याधियों के उपचार के लिए अस्पतालों के दूरस्थ शहरों में होने से गरीबी रेखा से नीचे एवं मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक समस्याओं के चलते इन महंगे अस्पतालों में ईलाज कराना संभव नहीं हो पाता। जिससे मानसिक रोगियों को बिना ईलाज के ही परिजनों द्वारा भटकने के लिये छोड़ दिया जाता है या फिर हिंसक होने पर घरों में ही लोहे की जंजीरों अथवा पट्टों में पशुओं की भांति बांध कर रख दिया जाता है।
मनासिक रोगियों की निःषुल्क ईलाज किया जाये- जिले में मानसिक रोगियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा द्वारा मानसिक रोगियों के निःशुल्क ईलाज एवं परामर्श के लिए संवेदना‘ कार्यक्रम सम्पूर्ण जिले में प्रारंभ किया गया। जिसके तहत् सर्वप्रथम जिला अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ आदित्य चतुर्वेदी की मनोरोग विभाग में नियुक्ति की गई ।
डाॅक्टरों की टीम बनाकर उन्हें मानसिक रोगियों की पहचान – जिले में अन्य डाॅक्टरों एवं आरएमए डाॅक्टरों की टीम बनाकर उन्हें मानसिक रोगियों की पहचान एवं उनसे परामर्श करने के लिए विशेष मानसिक रोग उपचार प्रशिक्षण शिविर लगाकर प्रशिक्षण दिया गया। इन शिविर में बेंगलुरू के एनआईएमएचएएनएस अस्पताल की विशेषज्ञ एवं अनुभवी डाॅक्टरों की टीम द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला में अपने अनुभव सभी से साझा किये गये।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से मरीजों के चिन्हांकन– प्रशिक्षण उपरांत महिला बाल विकास विभाग द्वारा अभियान चलाकर गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से मरीजों के चिन्हांकन एवं परिजनों से चर्चा कर उन्हें ईलाज के संबंध में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न गांवों में रोगियों की संख्या के आधार पर रोस्टर एवं रोड मैप तैयार कर गांवों में शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में मानसिक रोगियों को लाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई गई है। इन शिविरों में पहुंच रहे मानसिक रोगियों से डाॅक्टरों द्वारा परामर्श कर उनके लक्षणों को दर्ज करते हुए आवश्यक होने पर जिला अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक से विडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा रोगी से बात करा कर विशेषज्ञ द्वारा रोगियों के लिये दवाईयों के लिए परामर्श करते हुए उन्हें दवाईयां प्रदान की जाती है। अति गंभीर एवं उग्र हो चुके मानसिक रोगियों का घरों में जाकर डाॅक्टरों द्वारा परामर्श कर स्थिति अनुसार जिला अस्पताल में रिफर किया जाता है।
381 मरीजों को चिन्हाकित किया गया – जिले में अब तक कुल 381 मरीजों को चिन्हांकित किया गया है। जिसमें 28 शिविरों के माध्यम से कुल 260 मरीजों की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है एवं 121 मरीजों के लिए शिविरों का आयोजन लगातार जारी है। इन मरीजों में से अब तक 11 मानसिक रोगी स्वस्थ होकर घरों को जा चुके हैं। इन शिविरों द्वारा अब तक 83 ग्रामों के मरीजों की जांच की गई है। ऐसे गंभीर मरीज जिन्हें विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है उनके लिये जिला मुख्यालय में आवासीय उपचार गृह की व्यवस्था की जा रही है। यहां पर नियमित रूप से डाॅक्टरों द्वारा मरीजों से परामर्श एवं उनका ईलाज किया जावेगा। ऐसे मरीज जिनका उपचार जिला अस्पताल में करना संभव नहीं हो पाता उन्हें राज्य स्तर पर मानसिक रोगियों हेतु बने शासकीय अस्पतालों में भेज कर निःशुल्क ईलाज करवाया जाता है। इस प्रकार अब तक कुल 10 मरीजों को उपचार एवं पुर्नवास हेतु राज्य स्तर के अस्पतालों को रिफर किया गया है।