बिलासपुर न्यूज धमाका – शासन की विभिन्न योजनाओं और स्वयं के प्रयासों से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए इस्तेमाल किया और वे इस काम में सफल भी रही है। महिलाएं अब घर की चार दिवारी से बाहर निकल कर खेती, सिलाई, आटा चक्की, और ट्रैक्टर से खेत जोतने जैसे कार्यों में भी बढ़ चढ़़कर हिस्सा ले रही है।
भैसबोड़ निवासी त्रिवेणी घृतलहरे ने सिलाई के साथ-साथ आटा चक्की चलाकर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत किया है। सिलाई के काम से उनका दैनिक जीवन बेहतर हो रहा है, और आटा चक्की से वे अतिरिक्त आमदनी भी कमा रही हैं। अपने इस कार्य से त्रिवेणी घृतलहरे साल के 1 लाख रुपए से अधिक की इंकम अर्जित कर लखपति दीदी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
सरस्वती यादव ने खेती, सिलाई व मुर्गी पालन को आत्मनिर्भरता का साधन बनाया है। वह न केवल अपने खेतों की देखभाल करती हैं, बल्कि नए तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल कर अधिक उत्पादन हासिल कर रही हैं। खेती व अन्य कार्यो से होने वाली आमदनी ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया हैं, और वह लखपति दीदी बन गई।
गायत्री मैहर ने ट्रैक्टर खरीदकर अपने और दूसरों के खेत जोतने का काम शुरू किया है। ट्रैक्टर के माध्यम से वह न केवल अपने खेतों में काम कर रही हैं, बल्कि अन्य किसानों के खेत जोतकर भी अच्छी आमदनी कमा रही हैं। गायत्री के इस निर्णय ने उन्हें तो आत्मनिर्भर बनाया ही साथ ही लखपति दीदी के रुप में पहचान भी दिलाई है।
रविकुमारी टंडन खेती के साथ ही सिलाई व अन्य स्वरोजगार के माध्यम से अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास शुरू किया और वे इसमें सफल भी रही। रविकुमारी टंडन ने अपनी जमीन में सब्जी व अन्य उत्पादन का काम शुरु किया और खेती में रविकुमारी की आय को काफी बढ़ा दिया। खेती को अपनाया, बल्कि सिलाई के साथ-साथ अन्य छोटे-छोटे व्यवसायों से जुड कर हजारों रुपए कमा रही है। रविकुमारी अब अपने गांव में लखपति दीदी के रूप में जानी जाती हैं।