इस मंत्र का करे जाप
ओम देवी कात्यायनी नमः (लगातार 108 बार)
नवरात्रि के छठे दिन, देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं। देवी कात्यायनी बच्चे के जन्म के छठे दिन उसका भाग्य लिखने आती हैं अतः कात्यायनी देवी को भाग्य की देवी माना जाता है। बृहस्पति ग्रह कात्यायनी द्वारा शासित है। माता कात्यायनी अपने भक्तों को सब कुछ दे सकती है। समृद्धि और अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए देवी कात्यायनी की पूजा करती हैं। देवी कात्यायनी की पूजा भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त करती है। ऐसा कहा जाता है कि जो युवती कात्यायनी व्रत रखती हैं वह अपनी पसंद का पति पाती हैं।माँ भक्ति से आसानी से संतुष्ट हो जाती है और अपनेभक्तों के सभी पापों को ध्वस्त कर देती है उन्हें धन, सुख और मुक्ति के साथ आशीर्वाद देती हैं। अतः भाग्य का साथ चाहिए, चाहे वह बेहतर कैरियर के लिए भाग्य का साथ हो अथवा एक अच्छा जीवनसाथी चाहिए अथवा उत्तम स्वास्थ्य सभी प्रकार के बेहतरी के लिए भाग्य की देवी कात्यायनी का व्रत, मंत्रजाप तथा पूजा करने से जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
देवी के सामने हाथों में पानी लेकर भक्तों द्वारा एक संकल्प किया जाता है। फिर, कपूर मिश्रित पानी, फूल, शहद, घी, गाय का दूध, पंचामृत, चीनी और कपड़े देवी कात्यायनी को अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आग्रहपूर्वक पूजा करते हैं। पूजा से पूरी होती है मनोकामना मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है ,अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है।