Chhattisgarh Political News: मुलाकात के अलग-अलग राजनीतिक मायने निकाले जा रहे थे।Updated: | Tue, 24 Aug 2021 02:39 PM (IST)
![Chhattisgarh Political News: राहुल गांधी के साथ तीनों नेताओं की बैठक खत्म, छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा नहीं](https://img.naidunia.com/naidunia/ndnimg/24082021/24_08_2021-delhi_visit_singhdev_and_bhupesh.jpg)
Chhattisgarh Political News: रायपुर। नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। राहुल गांधी के साथ तीनों नेताओं की बैठक खत्म, बाहर निकले नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन को लेकर बातचीत हुई। छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। छत्तीसगढ़ के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव की करीब तीन घंटे चर्चा चली। बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि अलग-अलग विकास योजनाओं को जनता के बीच कैसे पहुंचाना है इस मुद्दे पर बात की गई। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा कि संभाग में संगठन को कैसे मजबूत करना है। जिलों में योजनाओं को किस तरीके से क्रियान्वित करना है। अन्य विषयों पर चर्चा हुई, लेकिन ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मंगलवार सुबह ही दिल्ली स्थित राहुल गांधी निवास उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। दोनों की एक साथ मुलाकात के अलग-अलग राजनीतिक मायने निकाले जा रहे थे। चर्चा थी कि राहुल गांधी के सामने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव बीतें दिनों छत्तीसगढ़ में हुए बृहस्पत सिंह विवाद, अंबिकापुर के राजीव भवन में नारेबाजी सहित अन्य मुद्दों को भी रख सकते हैं।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव से मुलाकात की। छत्तीसगढ़ राज्य में दो वरिष्ठ नेताओं के बीच सत्ता विवाद को सुलझाने के प्रयास में यह मुलाकात हुई। राहुल गांधी द्वारा उनके आवास पर बुलाई गई बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ के एआइसीसी प्रभारी पीएल पुनिया और एआइसीसी महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल भी मौजूद थे। सिंहदेव और सीएम बघेल पूर्व के दावे के साथ 2018 में चुनावी जीत के समय नेतृत्व ने 2.5 साल बाद मुख्यमंत्री पद के रोटेशन का प्रस्ताव रखा था। दोनों ने कहा है कि वे पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे।
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सिंहदेव ने बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी हमारे नेता हैं और वे जो भी कहेंगे हम उसका पालन करेंगे। बघेल ने यह भी कहा है कि नेतृत्व जो भी फैसला करेगा उसका पालन किया जाएगा। इस मुद्दे पर दोनों जहां पहले राहुल गांधी से मिल चुके हैं, वहीं बघेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिल चुके हैं। कांग्रेस को पंजाब और राजस्थान में इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वरिष्ठ नेता कई मुद्दों का सामना कर रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर राजनीतिक रस्साकशी दिल्ली पहुंच गई है। अब से कुछ देर पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने उनके निवास पहुंच गए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार वहां बैठक शुरू हो गई है। बैठक में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया समेत कुछ और राष्ट्रीय नेता मौजूद हैं। बैठक में अंदर क्या चल रहा है यह तो अभी बाहर नहीं आया है, लेकिन इधर, दोनों ही नेताओं के समर्थकों की धड़कनें तेज हो गई हैं। सिंहदेव के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए सरगुजा में पूजा पाठ में जुटे हुए हैं।
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सिंहदेव का इस्तीफा!
सिंहदेव पहले से दिल्ली में मौजूद हैं, जबकि बघेल सोमवार की शाम को वहां गए हैं। इस दौरे और बैठक को लेकर प्रदेश में कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं। कुछ लोग यहां तक कह रहे हैं कि यदि सिंहदेव की बात नहीं मानी गई तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और कार्यकर्ता बनकर पार्टी की सेवा करते रहेंगे। वहीं, एक चर्चा यह है कि सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता है। इसके साथ ही उन्हें उनके विभागों और सरगुजा संभाग के लिए फ्री हैंड दिया जा सकता है।
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ढाई-ढाई के फार्मूले पर विवाद
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर विवाद चल रहा है। कांग्रेस पार्टी के एक वर्ग का दावा है कि ढाई साल पहले जब कांग्रेस सत्ता में आई तो राहुल गांधी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री के पद के लिए ढाई-ढाई साल का फार्मूला तय हुआ था। इसके तहत पहले ढाई साल भूपेश बघेल और उसके बाद ढाई साल टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री रहेंगे। हालांकि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और बघेल भी ऐसे किसी फार्मूले से लगातार इन्कार करते रहे हैं। इसके विपरीत सिंहदेव ने इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने कभी खंडन भी नहीं किया। यही वजह है कि बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद से इसको लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है।