टोंगा न्यूज़ धमाका // दक्षिण प्रशांत द्वीप समूह टोंगा में बीते हफ्ते समुद्र में ज्वालामुखी फटा था। इसके बाद से टोंगा का संपर्क बाकी दुनिया से कटा हुआ है, क्योंकि कम्युनिकेशन केबल क्षतिग्रस्त हो गई है। न्यूजीलैंड सरकार के मुताबिक इसे ठीक होने में एक महीना लग सकता है। ज्वालामुखी फटने से सुनामी आई थी।
नासा के वैज्ञानिक जेम्स गार्विन का अनुमान है कि ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट अमेरिका की ओर से 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए 10 मेगाटन क्षमता के परमाणु बॉम्ब से 500 गुना ज्यादा था। जानते हैं पानी में ज्वालामुखी कैसे फटा…
दुनिया में कितने ज्वालामुखी मौजूद हैं?
दुनिया में 1350 सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक इनमें से ज्यादातर प्रशांत क्षेत्र के 40 हजार किमी के दायरे में हैं। इन्हें रिंग ऑफ फायर कहते हैं। यही दुनिया के 90% भूकंपों के लिए जिम्मेदार है।
पानी के अंदर से ज्वालामुखी कैसे धधकते हैं?
समुद्र के भीतर लगभग 10 लाख ज्वालामुखी हैं। इनमें से अधिकांश विलुप्त हो चुके हैं। ग्लोबल फाउंडेशन फॉर ओशन एक्सप्लोरेशन ग्रुप के अनुसार, ‘सभी ज्वालामुखी गतिविधियों में से लगभग तीन-चौथाई पानी में होती हैं।
जब ज्वालामुखी फटता है तो धरती की सतह की तरफ ऊपर आते हुए मैग्मा की वजह से ज्वालामुखी की गैसें निकलती हैं। वह बाहर की ओर आने का रास्ते तलाशती हैं। इससे एक दबाव बनता है। ये गैसें जब पानी तक पहुंचती हैं तो पानी वाष्प बन जाता है, जिससे दबाव बढ़ जाता है।
कैसे आई सुनामी?
ऑस्ट्रेलिया के ज्वालामुखी विशेषज्ञ रे कैस के मुताबिक टोंगा में धमाके की तीव्रता से संकेत मिलता है कि बड़ी मात्रा में गैस भारी दबाव के साथ निकली। संभव है कि पानी से होकर आगे जा रहीं झटकों की तरंगें सुनामी में बदल गईं।
कहां तक रहा ज्वालामुखी में विस्फोट का असर?
गार्विन के मुताबिक ऐसा विस्फोट बीते 100 साल में पहले कभी नहीं देखा गया। इस विस्फोट की गूंज 9744 किमी दूर अलास्का तक पहुंची। करीब 2300 किमी दूर न्यूजीलैंड में तो विस्फोट के बाद उठी लहरों ने नुकसान भी पहुंचाया।
आगे क्या स्थिति बनेगी?
नासा का कहना है कि संभावना है कि आने वाले लंबे समय तक इतना भीषण और विस्फोट नहीं होगा।