
नई दिल्ली न्यूज़ धमाका /// आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 बजे से राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया है। इससे साफ जाहिर है कि किसान आंदोलन के आगे सरकार को आखिरकार झुकना ही पड़ गया। इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि हमने किसानों को कृषि कानूनों को पूरी तरह से समझाने का प्रयास किया लेकन वे समझ नहीं पाए। आपको बता दें कि आज सुबह पीएमओ की ओर से ट्वीट कर लिखा गया है कि आज गुरु नानक जी का प्रकाश पर्व है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण करने उत्तर प्रदेश के महोबा जाएंगे। फिर शाम को वे झांसी में राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में सम्मिलित होंगे। जाने से पहले वे सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम संदेश देंगे। पीएम कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से ये जानकारी दी गई थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। मैं विश्वभर में सभी लोगों को और सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं। ये भी बहुत सुखद है, कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साबिह कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है। अपने पांच दशक के जीवन में किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है जब देश हमें 2014 में प्रधानसेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी
देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया। सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए।देश ने अपने Rural market infrastructure को मजबूत किया। हमने MSP तो बढ़ाई ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
जब मैं 2014 में पीएम बना, तो हमने (सरकार) किसानों के कल्याण और विकास को प्राथमिकता दी बहुत से लोग इस सच्चाई से अनजान हैं कि 80/100 छोटे हैं। – बड़े पैमाने के किसान जिनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है और जिनकी आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है। यह जमीन उनका अस्तित्व है।
किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं। आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है।
हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए।
एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।