
बिलासपुर न्यूज धमाका – राज्य के एक शिक्षक द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ दिलाने को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को सात सप्ताह (49 दिन) के भीतर विधिक निर्णय लेने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी सेवा की गणना उनकी वास्तविक नियुक्ति तिथि की बजाय संविलियन तिथि से की जा रही है, जिससे उन्हें ओपीएस का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कब और कैसे शुरू हुई सेवा?
याचिकाकर्ता नंदकुमार दीवान, पिता बिसराम दीवान, वर्तमान में स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, भंवरपुर (बसना, जिला महासमुंद) में प्राध्यापक (एल.बी.) के पद पर कार्यरत हैं। उनकी प्रथम नियुक्ति 27 जुलाई 1998 को शिक्षाकर्मी वर्ग-1 के रूप में जिला पंचायत के माध्यम से हुई थी। इसके बाद 28 सितंबर 2018 को स्कूल शिक्षा विभाग में व्याख्याता (एल.बी.) के रूप में उनका संविलियन किया गया।
नई पेंशन स्कीम में डाले जाने से असंतोष
संविलियन के बाद विभाग ने आदेश जारी किया कि शिक्षाकर्मियों की सेवा अवधि की गणना संविलियन की तिथि से की जाएगी और वे पुरानी पेंशन योजना के बजाय नई पेंशन योजना (NPS) के पात्र माने जाएंगे। इस निर्णय से असंतुष्ट होकर नंदकुमार दीवान ने 2023 में विभाग को अभ्यावेदन सौंपा, जिसमें 1998 से सेवा गणना कर ओपीएस का लाभ देने की मांग की गई।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
दो वर्षों तक विभाग द्वारा कोई जवाब नहीं दिए जाने के बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया। मामले की सुनवाई के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार कर पुरानी पेंशन योजना और सेवा अवधि की गणना को लेकर सात सप्ताह के भीतर विधिक निर्णय लिया जाए।
विस्तृत पृष्ठभूमि
राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के बीच असंतोष लगातार बढ़ रहा है। यह मामला हजारों शिक्षाकर्मियों के लिए नजीर बन सकता है, जो वर्षों से OPS की पात्रता को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।