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बच्चे और शिक्षक दोनों के लिये रामी चिडिया बनी कौतुहल का विषय। लाॅकडाउन के बाद स्कूल खुलने के बाद ये प्रतिदिन नियमित रूप से स्कूल में देखी जा रही है। शिक्षकों की समझाइश पर बच्चे भी इसे नहीं करते तंग।
कोंडागाँव न्यूज़ ब्लॉक के अंतर्गत संकुल केंद्र बड़ेकनेरा के प्राथमिक शाला मारीगुड़ा इन दिनों एक चिडिया के नियमित रूप से स्कूल में आने के कारण आसपास क्षेत्र में चर्चित हो गया है। मारी गुडा प्राथमिक स्कूल में बच्चों के अलावा एक पक्षी भी रोजाना अपनी उपस्थिति देता है। जो बच्चों का मन मोह लेता है। प्राथमिक शाला मारीगुडा के प्रभारी षिक्षक नीलकंठ साहू बताते है कि यह पक्षी रोज एक नियत समय पर उपस्थित होता है, और सांय 3 बजे के बाद खुद चला जाता है। इस पक्षी को बच्चे भी बहुत प्यार करते हैं और पक्षी को भी बच्चों व शिक्षकों से कोई समस्या नहीं है । स्कूल के शिक्षक श्रवण मानिकपुरी ने बताया कि इस पक्षी को देखकर बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आती हैं।
चिडियों का शिकार हुआ बंद
आमतौर पर बस्तर में स्कूल के पहले या बाद में बच्चे वन भ्रमण के लिये जाते है और चिडियों का षिकार कर लाते है। पर अब इस स्कूल के बच्चे स्कूल से जाने बाद भी चिड़ियों के शिकार के पक्षधर नही होते । इस पक्षी को स्थानीय बोली में रामी बोला जाता है जो कि एक समयांतराल में तोते की तरह इंसानी बोली में बात करता है। कोरोना काल के बाद जब से स्कूल खुला है तब से यह पक्षी प्रतिदिन उपस्थित होकर सभी कक्षाओं में घूम घूमकर कीड़े मकोड़े को खाकर सफाई का कार्य भी कर देता है। हालांकि यह पक्षी स्कूल के आसपास के किसी के घर का पालतू है, फिर भी स्कूल के आगंतुक बच्चों व शिक्षकों के इस पक्षी प्रेम को देखकर इस स्कूल को इको फ्रेंडली स्कूल कहने से नहीं चूकते हैं ।