कांग्रेस ने नक्सल के झूठे मामलों में बंद ग्रामीणों को रिहा करने का वादा नहीं निभाया, अब 3 छात्रों को पुलिस ने पकड़ा
बीजापुर जिले के 18 गांव के ग्रामीणों का कांग्रेस सरकार पर जमकर गुस्सा फूटा है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार अपने वादे से मुकर गई है। ग्रामीणों ने कहा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनते ही फर्जी नक्सल मामले में जेल में बंद ग्रामीणों को रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन ढाई साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बावजूद एक की भी रिहाई नहीं हुई है। पुलिस ने भी 3 छात्रों को भी नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया है। ग्रामीणों ने इस संबंध में राज्यपाल के नाम एस डी एम को ज्ञापन भी सौंपा है।बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित गांव गांगलूर, सावनार, तोड़का, पालनार सहित 18 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने विशाल रैली निकाली। मनकेली मार्ग से होते हुए ग्रामीण कई किमी का पैदल सफर तय कर जिला मुख्यालय पहुंचे। यहां घंटों ग्रामीणों का प्रदर्शन चलता रहा। आंदोलनरत ग्रामीणों ने पुलिस पर भी आरोप लगाया। कहा कि नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत जवान गांव-गांव में गश्त के दौरान नक्सली बताकर निर्दोष ग्रामीणों को उठाकर ले जा रहे हैं। जिन्हें जेल में डाला जा रहा है। जब तक निर्दोषों की रिहाई नहीं होती तब तक वे आंदोलन करते रहेंगे।
आरोप- जेल में ठूस-ठूसकर भरे जा रहे निर्दोष ग्रामीण
ग्रामीणों के द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में लिखा है कि नक्सल मामले में निर्दोषों को ठूस-ठूसकर जेल में डाला जा रहा है। जेल की क्षमता से अधिक वहां कैदियों भेड़-बकरियों की तरह रखा गया है। उनको समय पर खाना भी नहीं मिलता है। बीमार पड़ने पर समय पर दवाइयां भी नहीं दी जाती है। इस ओर सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है।
यह है ग्रामीणों की 6 सूत्री मांग
- निर्दोष ग्रामीणों के ऊपर लगाए गए झूठे केस को रद्द करें।
- नक्सली मामले में जेल में बंद किए गए निर्दोष ग्रामीणों को बिना कोई शर्त के रिहा किया जाए।
- जेल में बंद सभी कैदियों को समय पर खाना, कपड़ा, मनोरंजन के साधन, बीमार पड़ने पर समय पर दवाइयां उपलब्ध कराई जाए।
- बंदियों से परिवार के सदस्यों की सामूहिक मुलाकात व केस लड़ने वाले वकीलों की मुलाकात समय पर करने दें।
- जेल में बंद आदिवासियों को आजीवन कारावास देने वाली नीति को बंद करें।
- निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बता कर जेल में डालना बंद करें।